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कर्नल साहब और उनके दो इंजीनियर बेटे

आज  कर्नल साहब बड़े उत्सुक दिखाई दे रहे थे। वे कई बार घर के पूजा घर में प्रार्थना करने के लिए जा चुके थे। बार बार घर से बाहर आकर रास्ते पर दूर तक दृष्टि डालते हैं। मैंने अंत में पूछ ही लिया कि कर्नल साहब क्या बात है ? आज आप बार-बार घर से बाहर आ रहे हैं और रास्ते की तरफ देख रहे हैं  मानो किसी का इंतजार कर रहे है।  उन्होंने बड़े उत्साह पूर्वक कहां की हाँ शर्मा जी आज हमारे बच्चों के कॉलेज के कैंपस में बड़ी-बड़ी कंपनियां आ रही हैं बस भगवान की यही प्रार्थना है कि मेरे बच्चों का कहीं पर कैंपस सिलेक्शन हो जाएऔर वे अपने पैरों पर खड़े हो जाएं।  कर्नल  साहब को देखकर यह लग रहा था कि वह अपने बच्चों से ज्यादा उत्साहित थे। रहते भी क्यों नहीं हर मां बाप की इच्छा होती है कि उनके बच्चे पढ़ लिख कर कहीं पर नियुक्ति पा जाएँ कर्नल साहब ने तो अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए अपने पूरे जीवन की कमाई ही लगा दी थी। अपने बच्चों के साथ समय बिताने के लिए और उनकी सही देखरेख हो सके इसके लिए उन्होंने प्रोन्नति को स्वीकार नहीं किया और रिटायरमेंट ले कर के  घर वापस आ गए ।आज तो उनकी मेहनत और तपस्या...