न्याय और धर्म :व्यक्ति के सर्वोत्तम हथियार

भगवान ने मनुष्य को मस्तिष्क की शक्ति देकर उसे सृस्टि का सर्वश्रेष्ठ जीव का दर्जा प्रदान किया।वह अपने मस्तिष्क का प्रयोग अपने हित लाभ के लिए करने लगा।हित लाभ प्रत्येक प्राणी का अधिकार है लेकिन अधर्म और अन्याय का सहारा लेकर हित लाभ करना अनुचित है।मनुष्य ये भूल जाता है कि सृष्टि को चलाने के लिए ईश्वर ने अपनी एक उत्कृष्ट प्रणाली बनाई है ठीक वैसे ही जैसे कंप्यूटर की प्रोग्रामिंग होती है।व्यक्ति का सबसे बड़ा रक्षक धर्म और न्याय होता है।यदि व्यक्ति अधर्मी है तो उसका विनाश होने से कोई बचा नही सकता।
                महाभारत की कहानी मे जब एकबार यक्ष के द्वारा युधिष्टिर के अलावा सभी भाईयो को मृत कर दिया गया क्योंकी उन्होंने ने यक्ष के प्रश्नो का उत्तर दिये बिना तालाब के जल को पीने का प्रयास किया था।युद्धिष्ठिर के वहा पहुँचने पर यक्ष के द्वारा उनसे भी प्रश्न पूछा गया और उन्होंने सभी प्रश्नों का उत्तर दे दिया जिससे यक्ष पूरी तरह संतुष्ट हो गए।युधिष्ठिर से फिर यक्ष से प्रश्न पूछा,"मैं तुम्हारे किसी एक भाई को जिंदा कर सकता हूँ,तुम किसका जीवन चाहते हो ?"युधिष्ठिर ने कहा,"मैं चाहता हूं कि नकुल जिंदा हो जाएं"यक्ष ने कहा,"तुम्ह अर्जुन या भीम का जीवन माँगना चाहिये जो तुहारी रक्षा कर सकते हैं"इस पर युधिष्ठिर ने बड़ा ही सुंदर जवाब दिया,"व्यक्ति की सुरक्षा केवल धर्म करता है अर्जुन या भीम नही, और धर्म यह कहता है कि मैं नकुल का जीवन मांग लू क्योंकि कुंती का एक पुत्र मैं जिंदा हु और न्याय यहि कहता है कि मैं माद्री के एक पुत्र को मांग लू जिससे वह पूरी तरह से पुत्र विहीन न हो।


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