आर्थिक विकास का मापन

  आर्थिक विकास का मापन

विभिन्न देशों में आर्थिक विकास के मापन तथा तुलनात्मक स्थिति को प्रकट करने के पांच दृष्टिकोण मिलते हैं। यथा-

(1)आधारभूत आवश्यक  प्रत्यागम

 (2)जीवन की भौतिक गुणवत्ता सूचकांक

(3) क्रय शक्ति समता विधि

(4)निबल  आर्थिक कल्याण

(5)मानव  विकास सूचकांक

उपरोक्त दृष्टिकोण में से मॉरिस डी, मॉरिस का जीवन की भौतिक गुणवत्ता सूचकांक,पाल   का मूल आवश्यकता दृष्टिकोण, विश्वव बैंक का क्रयशक्ति समता विधि, तथा महबूब उल हक का मानव विकास सूचकांक को आर्थिक विकास के मापन मेंं महत्वपूर्ण माना जाता है। यथा-

      मूलभूत आवश्यकता प्रत्यागम

हिक्स एवं पाल  स्ट्रीटन मानव विकास के मापन के रूप में आधारभूत आवश्यकताओं के अधोलिखित 6 सामाजिक सूचकांकों पर विचार किया है। यथा-

मूल आवश्यकता                     सूचकांक

1-शिक्षा                      प्राथमिक शिक्षा (साक्षरता दर)

2-स्वास्थ्य                               जीवन प्रत्याशा

3-खाद्य                                  प्रति व्यक्ति कैलोरी आपूर्ति

4-स्वच्छता।                     बाल मृत्यु दर तथा स्वच्छता प्राप्त                                                  जनसंख्या का प्रतिशत

5-जलापूर्ति।       स्वच्छ जल आपूर्ति प्राप्त जनसंख्या प्रतिशत

6 आवास                              कैसा? या कोई नहीं

जीवन का भौतिक गुणवत्ता सूचकांक

1976 में मारिश डी. मारीश नामक अर्थशास्त्री ने ऐसा व्यापक संकेतक बनाने का प्रयास किया जो विकास के प्रयासों के परिणामों को व्यापक अर्थ में प्रस्तुत कर सके। इसके लिए तीन संकेतको का चुनाव किया गया-

1 जीवन प्रत्याशा

2-शिशु मृत्यु दर

3-मौलिक साक्षरता

इन तीनों संकेतको का औसत लेकर हम जीवन की भौतिक गुणवत्ता का सूचक निकाल सकते हैं-

PQLI=1/3(LEI+IMI+BLI)

         

          क्रय शक्ति समता विधि

सर्वप्रथम 1993 में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने विभिन्न देशों के रहन-सहन स्तर के निर्धारण हेतु इस विधि का उपयोग किया था।वर्तमान में विश्व बैंक संसार के देशों के तुलनात्मक रहन-सहन के निर्धारण हेतु  का प्रयोग कर रहा है।इसके अंतर्गत देश विशेष की सकल राष्ट्रीय आय को किसी पूर्व निर्धारित अंतरराष्ट्रीय विदेशी विनिमय दर पर व्यक्त न करके उस देश विशेष के भीतर मुद्रा की क्रय शक्ति के आधार पर व्यक्त किया जाता है। अर्थात जैसे भारत में ₹100 में जितनी वस्तु तथा सेवा का क्रय हो सकता है उतनी वस्तु तथा सेवा का क्रय अमुक मानक देश में कितने डॉलर, येन या पाउंड में होगा।HDR-2014 के अनुसार क्रय शक्ति समता के आधार पर भारत की प्रति व्यक्ति आय $5150 था। ज्ञातव्य है कि इस रिपोर्ट में क्रय शक्ति समता के आधार पर भारत को विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बताया गया है।

भारत का मानव विकास रिपोर्ट 2011

21 अक्टूबर 2011 को लगभग 1 दशक के बाद भारत मानव विकास रिपोर्ट 2011 को पूर्व केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश और योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया द्वारा जारी किया गया था। रिपोर्ट का शीर्षक थीम था-"सामाजिक समावेशन की ओर"

         Institute of applied manpower research जो कि योजना आयोग का सहयोगी संगठन था, के पूर्व महानिदेशक संतोष मेहरोत्रा द्वारा तैयार इस IHDR-2011 मैं भारत के विभिन्न राज्यों में मानव विकास की स्थिति का आकलन वर्ष 2007-08 के संदर्भ में प्रस्तुत किया था और उसकी तुलना मानव विकास सूचकांक 1999-2000 से की गई थी। सूचकांक में तीन संकेतको-यथा उपभोग ब्यय (आय गणना हेतु) शिक्षा एवं स्वास्थ्य का समुच्चय प्रस्तुत किया गया था।



          


              

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