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व्यष्टि - अर्थशास्त्र तथा समष्टि - अर्थ ( Microeconomics and Macroeconomics ) शास्त्र


  व्यष्टि - अर्थशास्त्र तथा समष्टि - अर्थशास्त्र

 ( Microeconomics and Macroeconomics ) 

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अर्थशास्त्र को विस्तृत रूप से दो भागों में वर्गीकृत किया गया है : ( i ) व्यष्टि - अर्थशास्त्र तथा ( ii ) समष्टि - अर्थशास्त्र । अर्थशास्त्र की व्यष्टि तथा समष्टि अवधारणाओं का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है : 

व्यष्टि - अर्थशास्त्र ( Microeconomics ) जब आर्थिक समस्याओं अथवा आर्थिक मुद्दों का अध्ययन व्यक्तिगत उपभोक्ता या व्यक्तिगत उत्पादक जैसी छोटी आर्थिक इकाइयों को ध्यान में रखकर किया जाता है , तब हमारा अभिप्राय व्यष्टि - अर्थशास्त्र से है । एक व्यक्तिगत आर्थिक इकाई ( जैसे एक उत्पादक या एक उपभोक्ता ) के स्तर पर आधारभूत आर्थिक समस्या चयन ( Choice ) की समस्या है जो दुर्लभ या सीमित संसाधनों के वैकल्पिक उपयोगों में बंटवारे से संबंधित है । एक उपभोक्ता को , विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के खरीदने में , अपनी निश्चित आय का आबंटन करना पड़ता है । उसे अपनी संतुष्टि अधिकतम करनी होती है । वह इसे कैसे करता है ? अर्थशास्त्री होने के नाते क्या हमने उपभोक्ता व्यवहार से संबंधित कुछ आधारभूत सिद्धांतों का अध्ययन तथा अन्वेषण किया है ? हाँ , हमने ऐसा किया है । हमने सिद्धांतों ( Theories ) का निरूपण किया है तथा

ऐसे सिद्धांतों या मूल तत्वों ( Principles ) का समूह प्रस्तुत किया है जो उपभोक्ता व्यवहार ( जिसे उपभोक्ता व्यवहार या माँग का सिद्धांत कहते हैं ) का वर्णन करते हैं । वस्तुओं और सेवाओं के लिए माँग तथा विभिन्न उपयोगों में अपनी आय के आबंटन पर उपभोक्ता का अपना चयन कुछ ऐसे प्रमुख मुद्दे हैं जिनका अध्ययन हम उपभोक्ता व्यवहार के सिद्धांत में करते हैं। व्यष्टि - अर्थशास्त्र का यह एक महत्वपूर्ण घटक है ।

 एक उत्पादक एक अन्य छोटी आर्थिक इकाई है । इसे भी चयन की समस्या का सामना करना पड़ता है । उसे चयन करना पड़ता है ( i ) आगतों के उस संयोग का जिसका उसे प्रयोग करना चाहिए और ( ii ) उस वस्तु का जिसका उसे उत्पादन करना चाहिए । उसे अपने संसाधनों का आबंटन इस प्रकार से करना चाहिए कि वह अपने लाभों को अधिकतम कर सकें । संसाधनों के आबंटन पर उत्पादक के व्यवहार ( Producer's Behaviour ) का अध्ययन हमें उत्पादन सिद्धांत ( Production Theory ) तथा पूर्ति सिद्धांत ( Supply Theory ) की ओर ले जाता है । उत्पादक व्यवहार का सिद्धांत तथा पूर्ति का सिद्धांत व्यष्टि - अर्थशास्त्र का एक अन्य महत्वपूर्ण घटक है ।

 माँग के सिद्धांत ( उपभोक्ता व्यवहार से संबंधित ) तथा पूर्ति के सिद्धांत ( उत्पादक व्यवहार से संबंधित ) का अध्ययन करते समय हम वस्तुओं और सेवाओं के लिए बाजार ( जिसे वस्तु बाजार कहते है ) तथा श्रम और पूँजी जैसे उत्पादन के कारकों के लिए बाजार ( जिसे कारक बाजार कहते हैं ) के अध्ययन की अवहेलना नहीं कर सकते है । व्यष्टि - अर्थशास्त्र यह अध्ययन करता है कि वस्तु बाजार ( Commodity Market ) में वस्तुओं और सेवाओं की कीमत का निर्धारण कैसे होता है तथा कारक बाजार ( Factor Market ) में उत्पादन के कारकों की कीमत का निर्धारण कैसे होता है । बाजार में कीमत निर्धारण की व्याख्या करने वाले सिद्धांतों को कीमत सिद्धांत ( Price Theories ) कहा जाता है । व्यष्टि - अर्थशास्त्र के ये अन्य महत्वपूर्ण घटक ( Vital Components ) हैं ।

व्यष्टि - अर्थशास्त्र के मुख्य घटक ( Vital Components of Microeconomics ) 

यह निम्न है :

 ( i ) उपभोक्ता व्यवहार सिद्धांत ( Theory of Consumer Behaviour ) : उपभोक्ता व्यवहार सिद्धांत यह विश्लेषण करता है कि एक उपभोक्ता कैसे अपनी आय को विभिन्न प्रयोगों में आबंटित करता है ताकि वह अपनी संतुष्टि को अधिकतम कर सके ।

 ( ii ) उत्पादक व्यवहार सिद्धांत ( Theory of Producer Behaviour ) : उत्पादक व्यवहार सिद्धांत यह विश्लेषण करता है कि एक उत्पादक कैसे भिन्न - भिन्न आगतों का चुनाव करता है तथा यह निर्णय लेता है कि क्या उत्पादन करना है तथा कैसे उत्पादन करना है । उत्पादक लाभ को अधिकतम करने पर अपना ध्यान केंद्रित करता है ।

 ( ii ) कीमत सिद्धांत ( Theory of Price ) : कीमत सिद्धांत यह अध्ययन करता है कि वस्तु बाजार में वस्तुओं की कीमत कैसे निर्धारित होती हैं तथा साधन बाजार में उत्पादन के साधनों की कीमत कैसे निर्धारित होती हैं । समष्टि - अर्थशास्त्र ( Macroeconomics ) समष्टि - अर्थशास्त्र संपूर्ण अर्थव्यवस्था के स्तर पर आर्थिक समस्याओं अथवा आर्थिक मुद्दों का अध्ययन करता है । व्यष्टि - अर्थशास्त्र की भांति समष्टि - अर्थशास्त्र में भी दुर्लभ संसाधनों का विवेकशील प्रबंधन ही मुख्य समस्या है । किंतु समष्टि - अर्थशास्त्र में सामाजिक कल्याण अधिकतम करने पर बल दिया जाता है , न कि व्यक्तिगत लाभ को अधिकतम करने पर जैसे कि व्यष्टि - अर्थशास्त्र में होता है । समष्टि - अर्थशास्त्र में केंद्रीय मुद्दे संपूर्ण रोजगार स्तर , राष्ट्रीय उत्पाद की वृद्धि दर , सामान्य कीमत स्तर तथा आर्थिक स्थिरता से संबंधित हैं ।

समष्टि - अर्थशास्त्र ( Macroeconomics )

 समष्टि - अर्थशास्त्र संपूर्ण अर्थव्यवस्था के स्तर पर आर्थिक समस्याओं अथवा आर्थिक मुद्दों का अध्ययन करता है । व्यष्टि - अर्थशास्त्र की भांति समष्टि - अर्थशास्त्र में भी दुर्लभ संसाधनों का विवेकशील प्रबंधन ही मुख्य समस्या है । किंतु समष्टि - अर्थशास्त्र में सामाजिक कल्याण अधिकतम करने पर बल दिया जाता है , न कि व्यक्तिगत लाभ को अधिकतम करने पर जैसे कि व्यष्टि - अर्थशास्त्र में होता है । समष्टि - अर्थशास्त्र में केंद्रीय मुद्दे संपूर्ण रोजगार स्तर , राष्ट्रीय उत्पाद की वृद्धि दर , सामान्य कीमत स्तर तथा आर्थिक स्थिरता से संबंधित हैं ।

समष्टि - अर्थशास्त्र समष्टि आर्थिक चरों जैसे कि समग्र माँग ( AD ) तथा समग्र पूर्ति ( AS ) के अध्ययन से आरंभ होता है । यह विश्लेषण करता है कि अर्थव्यवस्था में संतुलन उत्पादन स्तर ( जब समग्र माँग = समग्र पूर्ति ) कैसे प्राप्त होता है । अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार संतुलन स्तर से कम या अधिक होने की स्थिति का स्फीतिक तथा अवस्फीतिक अंतराल की समस्या के रूप में अध्ययन किया जाता है । वित्तीय तथा मौद्रिक नीतियों का अध्ययन अर्थव्यवस्था में स्फीतिक तथा अवस्फीतिक अंतराल की स्थितियों से निपटने के माप के रूप में किया जाता है । इसके अतिरिक्त विनिमय दर तथा भुगतान शेष आदि मुद्दों के बारे में समष्टि - अर्थशास्त्र में अध्ययन किया जाता है ताकि घरेलू अर्थव्यवस्था पर इनके प्रभावों का विश्लेषण किया जा सके ।

 समष्टि - अर्थशास्त्र के मुख्य घटक ( Vital Components of Macroeconomics ) 

यह निम्न है :

 ( i ) संतुलित उत्पाद तथा रोजगार स्तर से संबंधित सिद्धांत ( Theory related to Equilibrium Level of Output and Employment ) : यह सिद्धांत विश्लेषण करता है कि AD = AS की स्थिति में अर्थव्यवस्था में संतुलन कैसे प्राप्त होता है । 

( ii ) अर्थव्यवस्था में स्फीतिक तथा अवस्फीतिक अंतराल से संबंधित सिद्धांत ( Theory related to Inflationary and Deflationary Gap in the Economy ) : पूर्ण रोजगार संतुलन उत्पादन स्तर से कम या अधिक होने की स्थिति में अर्थव्यवस्था में कैसे स्फीतिक तथा अवस्फीतिक अंतराल उत्पन्न होता है इस सिद्धांत में इसका अध्ययन किया जाता है ।

 ( iii ) गुणक सिद्धांत ( Theory of Multiplier ) : अर्थव्यवस्था में निवेश व्यय के कारण आय सृजन प्रक्रिया का अध्ययन इस सिद्धांत में किया जाता है ।

 ( iv ) राजकोषीय तथा मौद्रिक नीतियाँ ( Fiscal and Monetary Policies ) : अर्थव्यवस्था में स्फीतिक तथा अवस्फीतिक अंतराल जैसे अस्थिर आर्थिक अवस्थाओं से निपटने के लिए राजकोषीय तथा मौद्रिक नीतियों का प्रयोग किया जाता है ।

 ( v ) मुद्रा पूर्ति तथा साख सृजन ( Money Supply and Credit Creation ) : इसमें मुद्रा पूर्ति के संघटकों तथा साख सृजन प्रक्रिया के माध्यम से व्यावसायिक बैंक कैसे मुद्रा पूर्ति में वृद्धि करते हैं इसके बारे में अध्ययन किया जाता है । 

( vi ) सरकारी बजट ( Government Budget ) : सरकारी बजट विश्लेषण बजटीय घाटे के माप तथा अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव पर केंद्रित होता है । 

( vii ) विनिमय दर तथा भुगतान शेष ( Exchange Rate and BoP ) : इसमें अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाजार में विनिमय दर कैसे निर्धारित होता है तथा भुगतान शेष घरेलू अर्थव्यवस्था की आर्थिक क्रियाओं के स्तर को कैसे प्रभावित करता है इसका विश्लेषण किया जाता है ।



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