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इकाई ' एक ' भारत और समकालीन विश्व -1 ( इतिहास ) फ्रांसीसी क्रान्ति

                 फ्रांसीसी क्रान्ति 

            बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

 प्रश्न 1. लुई 16 वाँ फ्रांस की राजगद्दी पर किस वर्ष बैठा था।

 (क)1774 ई ० में ( ख ) 1775 ई ० में ( ग ) 1776 ई ० में (घ)1777 ई ० में । 

उत्तर- 1774 ई. में

प्रश्न 2. मेरी एन्तोएनेत कौन थी

 ( क ) लुई 16 वें की पत्नी ( ख ) लुई 14 वें की पत्नी ( ग ) लुई 12 वें की पत्नी ( घ ) लुई 10 वें की पत्नी ।

उत्तर- लुई 16 वें की पत्नी

 प्रश्न 3. फ्रांस की प्राचीन संसद का क्या नाम था?

 ( क ) नेशनल असेम्बली ( ख ) एस्टेट्स जनरल ( ग ) नेशनल कन्वेन्शन ( घ ) डायरेक्टरी ।

उत्तर- एस्टेट्स जनरल

 प्रश्न 4. क्रान्ति के समय फ्रांस का राजा कौन था 

( क ) लुई 14 वाँ ( ख ) लुई 15 वाँ ( ग ) लुई 16 वाँ ( घ ) लुई 18 वाँ । 

उत्तर- लुई 16 वाँ

प्रश्न 5. फ्रांस की क्रान्ति का तात्कालिक कारण क्या था ?

( क ) लुई 16 वें की निरंकुशता ( ख ) रिक्त राजकोष ( ग ) दार्शनिकों की भूमिका (घ) एस्टेट्स जनरल का अधिवेशन । 

उत्तर- एस्टेट्स जनरल का अधिवेशन ।

प्रश्न 6. फ्रांसीसी क्रान्ति कब प्रारम्भ हुई थी ?

( क ) 1787 ई ० में ( ख ) 1789 ई ० में ( ग ) 1792 ई ० में ( घ ) 1795 ई ० में ।

उत्तर- 1789 ई ० में

 प्रश्न 7. बास्तील का पतन कब हुआ?

 ( क ) 5 मई , 1789 ई ० को ( ख ) 20 जून , 1789 ई ० को ( ग ) 30 जून , 1789 ई ० को ( घ ) 14 जुलाई , 1789 ई ० को । 

उत्तर- 14 जुलाई , 1789 ई ० 

प्रश्न 8. राजतन्त्र का अन्त करके फ्रांस को गणतन्त्र कब घोषित किया गया ?

( क ) 10 सितम्बर , 1792 ई ० को ( ख ) 18 सितम्बर , 1792 ई ० को ( ग ) 10 सितम्बर , 1789 ई ० को ( घ ) 21 सितम्बर , 1792 ई ० को । 

उत्तर- 10 सितम्बर , 1789 ई ० को

प्रश्न 9. फ्रांस में आतंक के शासन का संस्थापक कौन था?

 ( क ) दान्ते ख ) रोबेस्प्यरे ( ग ) मीराबो ( घ ) लफायते ।

उत्तर- रोबेस्प्यरे

 प्रश्न 10. फ्रांस की महिलाओं को मताधिकार किस वर्ष प्राप्त हुआ ?

( क ) 1789 ई ० में ( ख ) 1792 ई ० में (ग ) 1945 ई ० में  (घ ) 1946 ई ० में । 

उत्तर- 1945 ई ० में

प्रश्न 11. रूसो कौन था?

 ( क ) वैज्ञानिक ख ) दार्शनिक ( ग ) कवि ( घ ) चित्रकार 

उत्तर- दार्शनिक

प्रश्न 12. महान दार्शनिक वाल्टेयर ने किस देश की क्रान्ति को प्रभावित किया था?

 ( क ) अमेरिका ( ख ) इंग्लैण्ड ( ग ) रूस ( घ ) फ्रांस 

उत्तर- फ्रांस

प्रश्न.13. नेपोलियन की वाटरलू युद्ध में पराजय हुई?

 ( क ) 1804 ई ० में ( ख ) 1813 ई ० में (ग) 1815 ई ० में  (घ ) 1830 ई ० में ।

उत्तर- 1815 ई ० में

प्रश्न.14.'द स्पिरिट ऑफ द लॉज' किसकी रचना है?

(क) हॉब्स।  (ख) लॉक  (ग) रूसो  (घ) मांटैस्क्यू

उत्तर- मांटैस्क्यू

प्रश्न.15.'द सोशल कॉन्ट्रैक्ट' किसकी रचना है?

(क) हॉब्स  (ख)  लॉक  (ग)  रूसो  (घ)  मांटैस्क्यू

उत्तर- रूसो

       अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर  

प्रश्न 1. क्रान्ति के समय फ्रांस का शासक कौन था ?

 उत्तर : क्रान्ति के समय फ्रांस का शासक लुई 16 वाँ था ।

 प्रश्न 2. लुई 16 वाँ फ्रांस की क्रान्ति के लिए किस प्रकार उत्तरदायी था ? 

उत्तर : लुई 16 वें के अधीन फ्रांस ने तेरह अमेरिकी उपनिवेशों को ब्रिटेन से स्वाधीनता प्राप्त करने में सहायता की । इस युद्ध ने पहले से चल रहे ऋण में दस अरब लिब्रे ( फ्रांस की मुद्रा ) का कर्ज और जोड़ दिया । वह स्वयं भी भोगविलासी व अपव्ययी था ।

 प्रश्न 3. फ्रांसीसी क्रान्ति का नारा क्या था ? 

उत्तर : ' स्वतन्त्रता , समानता और बन्धुत्व ' फ्रांसीसी क्रान्ति का नारा था ।

 प्रश्न 4. जैकोबिन क्या था ? उसका नेता कौन था ?

 उत्तर : जैकोबिन कम समृद्ध वर्गों का क्लब था । उसका नेता रोब्सपियरे था ।

 प्रश्न 5. रोब्सपियरे के विषय में आप क्या जानते हैं ? 

उत्तर : रोब्सपियरे जैकोबिन क्लब का सबसे महत्त्वपूर्ण नेता था । उसने फ्रांस पर 1792 ई ० से 1793 ई ० तक शासन किया । उसके शासन को ' आतंक के शासन ' के नाम से जाना जाता है । 

प्रश्न 6. फ्रांसीसी क्रान्ति को जन्म देने वाले दो प्रमुख दार्शनिकों के नाम बताइए । 

उत्तर : ( 1 ) मान्तेस्क्यू , ( 2 ) रूसो । 

प्रश्न 7. मान्तेस्क्यू ने किस ग्रन्थ की रचना की थी ?

 उत्तर : ' कानून की आत्मा ' ( The Spirit of the Laws)

प्रश्न 8. यह कथन किस दार्शनिक का है- " मनुष्य स्वतन्त्र पैदा हुआ है , परन्तु वह सर्वत्र बेड़ियों में जकड़ा है।"

 उत्तर : रूसो ।

 प्रश्न 9. फ्रांस की क्रान्ति का तात्कालिक कारण क्या था ? 

उत्तर : एस्टेट्स जनरल का अधिवेशन बुलाया जाना फ्रांस की क्रान्ति का तात्कालिक कारण था ।

 प्रश्न 10. एस्टेट्स जनरल का अधिवेशन कब हुआ ? 

उत्तर : एस्टेट्स जनरल का अधिवेशन 17 जुलाई , 1789 को हुआ । 

प्रश्न 11. बास्तील के दुर्ग ( जेल ) का पतन कब हुआ ? उत्तर : बास्तील के दुर्ग का पतन 14 जुलाई , 1789 ई ० को हुआ था। 

                  लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. 18 वीं शताब्दी में फ्रांस की सामाजिक दशा का वर्णन कीजिए । अथवा सन् 1789 की क्रान्ति से पूर्व फ्रांस में कौन - कौन से सामाजिक वर्ग थे ? उल्लेख कीजिए । 

उत्तर : सन् 1789 की फ्रांसीसी क्रान्ति से पूर्व फ्रांस का समाज तीन वर्गों में विभाजित था । फ्रांस की सामाजिक स्थिति निम्न प्रकार थी 

( 1 ) पादरी वर्ग - इस वर्ग में रोमन कैथोलिक चर्च के उच्च श्रेणी के पादरी थे । उन्हें कई विशेषाधिकार प्राप्त थे तथा कोई कर नहीं देना पड़ता था । इस वर्ग के लोगों का जीवन ऐश्वर्यपूर्ण व विलासी था ।

 ( 2 ) कुलीन वर्ग - इस वर्ग में उच्च सरकारी अधिकारी व बड़े - बड़े जमींदार होते थे । उन्हें भी अनेक विशेषाधिकार प्राप्त थे । वे कृषकों से उपज का 1/2 भाग लेते थे । इतना ही नहीं इन लोगों के पास अपनी जागीर भी होती थी ।

( 3 ) साधारण वर्ग - इस वर्ग में किसान , छोटे कर्मचारी , मजदूर , वकील तथा डॉक्टर आदि शामिल थे । इन लोगों पर करों का अत्यधिक बोझ था । इसके अतिरिक्त इनसे बेगार भी ली जाती थी । यह वर्ग अधिकारों से विहीन था । फ्रांस की क्रान्ति के विस्फोट में इस वर्ग ने महत्त्वपूर्ण योगदान किया । 

प्रश्न 2.फ्रांस के इतिहास में 14 जुलाई का क्या महत्त्व है ? 

उत्तर : फ्रांस के इतिहास में 14 जुलाई का विशेष महत्त्व है क्योंकि इस दिन फ्रांस के क्रान्तिकारियों ने बास्तील के दुर्ग पर विजय प्राप्त की थी । बास्तील फ़ांस का एक अति प्राचीन दुर्ग था जिसमें राजनीतिक कैदियों को रखा जाता था । इस दुर्ग को राजाओं की निरंकुशता तथा स्वेच्छाचारिता का प्रतीक समझा जाता था । पेरिस की भीड़ ने 14 जुलाई , 1789 ई ० के दिन तेजी के साथ बास्तोल के दुर्ग पर आक्रमण कर दिया । संसार के इतिहास में यह महत्त्वपूर्ण एवं अनुपम घटना थी । फ्रांस में यह लोकतन्त्र की विजय और निरंकुशता की पराजय थी ।

 प्रश्न 3. ' फ्रांस के इतिहास में मानव तथा नागरिकों के अधिकारों की घोषणा का क्या महत्त्व है ? 

उत्तर : राष्ट्रीय सभा ने 27 अगस्त , 1789 ई ० को मानव तथा नागरिकों के अधिकारों की घोषणा की , जो फ्रांस के इतिहास में अत्यधिक महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है । इस घोषणा ने फ्रांस में राजा की निरंकुशता के प्रतीक ' मुद्रित पत्रों ( वारण्ट ) को अवैधानिक घोषित कर दिया और जनता को भाषण , लेखन , प्रेस सम्बन्धी तथा धार्मिक स्वतन्त्रता प्राप्त हो गई । इस घोषणा की तुलना इंग्लैण्ड को ' मैग्नाकार्टा ' की घोषणा से की जा सकती है ।

 प्रश्न 4. व्यवस्थापिका सभा के प्रमुख कार्य बताइए ।

 उत्तर : व्यवस्थापिका सभा ( 1791-1792 ई ० ) के प्रमुख कार्य निम्नलिखित थे-

( 1 ) प्रवासी सामन्तों को वापस लौटाने हेतु एक अधिनियम पारित किया ।

 ( 2 ) मई 1792 ई ० में सिविल विधान की अवहेलना करने वाले पादरियों को देश से निष्कासित कर दिया गया ।

 ( 3 ) व्यवस्थापिका सभा ने आस्ट्रिया के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी । 

( 4 ) फ्रांस में 10 अगस्त , 1792 ई ० को राजतन्त्र का अन्त कर दिया । 

( 5 ) सितम्बर हत्याकाण्ड के बाद शासन सत्ता जैकोबिनों के हाथ में आ गई और 10 अगस्त , 1792 ई ० से 20 सितम्बर , 1792 ई ० तक फ्रांस में दान्तों की तानाशाही स्थापित रही । 

प्रश्न 5. डायरेक्टरी क्या थी ? इसके प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए । 

उत्तर : 1795 ई ० के संविधान के अनुसार फ्रांस में डायरेक्टरी का गठन किया गया । 27 अक्टूबर , 1795 ई ० को डायरेक्टरी का प्रथम अधिवेशन हुआ । डायरेक्टरी का अध्यक्ष बरास को बनाया गया । डायरेक्टरी ने फ्रांस में धार्मिक सहिष्णुता की स्थापना की । उसने संयुक्त परिवार प्रथा का अन्त कर दिया । अप्रैल 1796 ई ० में ' मेण्डट्स ' नामक नई मुद्रा जारी की गई तथा कागजी मुद्रा को अवैधानिक घोषित कर दिया । जनता से लिए गए ऋण के दो - तिहाई भाग को चुकाने से इनकार कर दिया और शेष एक - तिहाई भाग पर ब्याज देना ही स्वीकार किया । 

प्रश्न 6. रोब्सपियरे के राज्य को ' आतंक का राज्य ' क्यों कहा जाता है ? 

उत्तर : रोब्सपियरे ने 1793 से 1794 तक फ्रांस पर शासन किया । उसने बहुत ही कठोर एवं क्रूर नीतियाँ अपनाई । वह जिन्हें गणतन्त्र का शत्रु मानता था अथवा उसकी पार्टी का जो कोई सदस्य उससे असहमति जताता था , उसे जेल में डाल देता था । ऐसे लोगों पर एक क्रान्तिकारी न्यायालय द्वारा मुकद्दमा चलाया जाता था । जो दोषी पाया जाता था उसे गिलोटिन पर चढ़ाकर उसका सिर धड़ से अलग कर दिया जाता था । रोब्सपियरे ने अपनी नीतियों को इतनी कठोरता एवं क्रूरता से लागू किया कि उसके समर्थक भी त्राहि - त्राहि कर उठे । इसी कारण उसके राज्य को ' आतंक का राज्य ' कहा जाता है ।

 प्रश्न 7. वास्तील के दुर्ग के महत्त्व की विवेचना कीजिए ।

 उत्तर : पेरिस के पूर्वी भाग में स्थित वास्तील एक दुर्ग था । इसे फ्रांस के शासकों द्वारा जेल के रूप में प्रयोग किया जाता था । इसे मुख्यतया फ्रांस के शासकों द्वारा स्थापित निरंकुश शासन का प्रतीक माना जाता था । फ्रांस की जनता ने सम्राट के अत्याचारों से दुःखी होकर 14 जुलाई , 1789 ई ० को बास्तोल के दुर्ग को घेर लिया और उसके द्वार तोड़कर सभी कैदी स्वतन्त्र कर दिए । इस घटना से फ्रांस में निरंकुश शासन का अन्त हो गया और राजनीतिक शक्ति विधानमण्डल के हाथ में आ गई ।

 प्रश्न 8. नेपोलियन बोनापार्ट के विषय में आप क्या जानते हैं ? 

उत्तर : 1789 ई ० की फ्रांसीसी क्रान्ति का एक परोक्ष परिणाम नेपोलियन बोनापार्ट का उदय था । नेपोलियन ने फ्रांस की राजनीतिक व आर्थिक अस्थिरता का लाभ उठाकर सेना की मदद से सत्ता पर अधिकार कर लिया । उसने सन् 1804 ई ० में स्वयं को फ्रांस का सम्राट घोषित कर दिया । उसके रूसी अभियान ने उसकी शक्ति को ध्वस्त कर दिया।सन् 1815 ई ० में वाटरलू के मैदान में वह अंग्रेज सेनानायक आर्थर वेलेजली से बुरी तरह पराजित हुआ । उसे बन्दी बनाकर सेण्ट हेलेना द्वीप में निर्वासित कर दिया गया । कालान्तर में नेपोलियन की वहीं मृत्यु हो गयी । 

         विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.फ्रांस में क्रान्ति की शुरुआत किन परिस्थितियों में हुई ?

उत्तर : फ्रांसीसी क्रान्ति 5 मई , 1789 को हुई , जिसने शीघ्र ही भीषण रूप धारण कर लिया । अन्ततः फ्रांस में निरंकुश राजतन्त्र का अन्त करके लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था की स्थापना की गई । इस क्रान्ति के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे 1. राजनीतिक कारण - फ्रांस के शासक स्वेच्छाचारी और निरंकुश थे । वे राजा के दैवी अधिकारों के सिद्धान्त में विश्वास करते थे । अत : वे प्रजा के सुख - दुःख , हित - अहित की कोई चिन्ता न करके अपनी इच्छानुसार कार्य करते थे । वे जनता पर नए - नए कर लगाते रहते थे और कर के रूप में वसूले गए धन को मनमाने ढंग से विलासिता पर व्यय करते थे । सम्पूर्ण देश के लिए एक समान कानून व्यवस्था भी नहीं थी । इस प्रकार फ्रांस की जनता शासकों की निरंकुशता से बहुत त्रस्त थी । 

2. सामाजिक कारण - फ्रांस में क्रान्ति से पूर्व अत्यधिक सामाजिक असमानता थी । पुरोहित तथा कुलीन श्रेणी के लोगों का जीवन बहुत विलासी था तथा उन्हें विशेषाधिकार प्राप्त थे । इसके विपरीत किसानों तथा मजदूरों का जीवन नारकीय था । वे विभिन्न प्रकार के करों व बेगार के बोझ तले दवे थे । समाज में बुद्धिजीवी वर्ग अर्थात् वकील , डॉक्टर , अध्यापक आदि का सम्मान नहीं था । अत : फ्रांस की मध्यमवर्गीय घनी एवं शिक्षित जनता ; कुलीन वर्ग के लोगों तथा चर्च के उच्च अधिकारियों से सदैव द्वेष रखती थी । अत : क्रान्ति प्रारम्भ होते ही तृतीय वर्ग की सम्पूर्ण जनता ने इसका जोरदार समर्थन किया । 3. 

3.आर्थिक कारण - फ्रांस द्वारा अनेक युद्धों में भाग लेने के कारण उसकी आर्थिक दशा अत्यन्त दयनीय हो चुको घो । राजदरबार की शान - शौकत एवं समाज को उच्च श्रेणी के व्यक्तियों की विलासप्रियता के कारण साधारण जनता पर अनेक प्रकार के कर लगाए जाते थे और इन करों की वसूली निर्दयतापूर्वक की जाती थी । फ्रांस में उच्च वर्ग और पादरी वर्ग करों का भार वहन करने में समर्थ थे , परन्तु उन्हें करों से मुक्त रखा गया था । इस प्रकार दयनीय आर्थिक दशा भी फ्रांस की क्रान्ति का एक बड़ा कारण बनी ।

 4. दार्शनिकों तथा लेखकों के विचारों का प्रभाव - यूरोप के लगभग सभी देशों में फ्रांस जैसी दशा थी । फ्रांस के दार्शनिकों और लेखकों के क्रान्तिकारी विचारों के परिणामस्वरूप फ्रांस में ही सबसे पहले क्रान्ति हुई । फ्रांस के लेखकों एवं दार्शनिकों के विचारों ने राज्य के विरुद्ध क्रान्ति की भावना का बीजारोपण किया । इनमें मॉण्टेस्क्यू , वाल्टेयर , रूसो और दिदरो आदि दार्शनिकों ने फ्रांस की क्रान्ति को जन्म देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई । दूसरी ओर अमेरिकी क्रान्ति ने भी उन्हें इस काम के लिए प्रोत्साहित किया । 

5. तात्कालिक कारण - फ्रांस की क्रान्ति का तात्कालिक कारण एस्टेट्स जनरल का अधिवेशन बुलाया जाना था । लुई 16 वें ने देश की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए तत्कालीन वित्त मन्त्री के परामर्श से जनता पर नए कर लगाने का निश्चय किया क्योंकि यह संस्था हो नए कर प्रस्तावों को पारित कर सकती थी । 4 मई , 1789 ई ० को एस्टेट्स जनरल के अधिवेशन की तिथि निर्धारित की गई । किन्तु फ्रांस में तो क्रान्ति का बारूद तैयार हो चुका था । अत : उसमें एस्टेट्स जनरल के अधिवेशन ने चिंगारी का काम किया और 5 मई , 1789 ई ० को क्रान्ति का विस्फोट हो गया । 

प्रश्न 2. फ्रांस की क्रान्ति के परिणामों पर प्रकाश डालिए । 

उत्तर : फ्रांस को क्रान्ति ( 1789 ई ० ) विश्व की महानतम घटनाओं में से एक थी । इसके दूरगामी परिणाम हुए , जिसमें प्रमुख निम्नलिखित हैं -

( 1 ) इस क्रान्ति ने सदियों से चली आ रही यूरोप की पुरातन व्यवस्था ( Ancient Regime ) का अन्त कर दिया । 

( 2 ) इस क्रान्ति को महत्त्वपूर्ण देन मध्यकालीन समाज की सामन्ती व्यवस्था का अन्त करना रहा । 

( 3 ) फ्रांस के क्रान्तिकारियों द्वारा की गई ' मानव अधिकारों की घोषणा ' ( 27 अगस्त , 1789 ई ० ) , मानव प्रजाति को स्वाधीनता के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है । 

( 4 ) इस क्रान्ति ने समस्त यूरोप में राष्ट्रीयता की भावना का विकास और प्रसार किया । परिणामस्वरूप यूरोप के अनेक देशों में क्रान्ति का सूत्रपात हुआ ।

 ( 5 ) फ्रांस को क्रान्ति ने धर्मनिरपेक्ष राज्य की अवधारणा को जन्म दिया । 

( 6 ) इस क्रान्ति ने लोकप्रिय सम्प्रभुता के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया । 

( 7) फ्रांसीसी क्रान्ति ने मानव मात्र को स्वतन्त्रता , समानता और बन्धुत्व का नारा प्रदान किया । 

( 8 ) इस क्रान्ति ने इंग्लैण्ड , आयरलैण्ड तथा अन्य यूरोपीय देशों की राजनीतिक व्यवस्था को प्रभावित किया । 

( 9 ) कुछ विद्वानों के अनुसार फ्रांस की क्रान्ति समाजवादी विचारधारा का स्रोत थी क्योंकि इसने समानता का सिद्धान्त प्रतिपादित कर समाजवादी व्यवस्था का मार्ग खोल दिया था । ( 10 ) इस क्रान्ति के फलस्वरूप फ्रांस ने कृषि , उद्योग , कला , साहित्य , शिक्षा तथा सैन्यशक्ति के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व प्रगति की । 

प्रश्न 3. नेपोलियन की साम्राज्यवादी नीति का वर्णन कीजिए । यह नीति नेपोलियन के पतन में किस सीमा तक सहायक रही ? अथवा नेपोलियन का सैनिकवाद क्या था ? इस सम्बन्ध में अपने विचार व्यक्त कीजिए । 

उत्तर : नेपोलियन अत्यधिक महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति था । उसकी महत्त्वाकांक्षाओं का कोई अन्त नहीं था । उसमें साम्राज्य विस्तार की भावना प्रबल रूप में थी । उसके पतन का एक प्रमुख कारण उसका सैनिकवाद था । उसका साम्राज्यवाद सैन्यशक्ति पर आधारित था । क्रान्ति के युग में फ्रांस के युद्ध मन्त्री कार्नो ने एक विशाल सेना का गठन करके शत्रुओं से अपने देश की रक्षा की थी । फ्रांस के सैनिकवाद ने ही नेपोलियन के उत्थान को सम्भव बनाया था । राष्ट्रीय सम्मेलन ने भी सैनिकवाद को प्रोत्साहन दिया और डायरेक्टरी के शासनकाल में नेपोलियन ने सैनिकवाद को चरम सीमा पर पहुँचाने का कार्य अपने हाथ में ले लिया । उसकी निरन्तर विजयों ने फ्रांस की सैन्यशक्ति का अत्यधिक विस्तार कर दिया और अब फ्रांस अपनी सैन्यशक्ति के बल पर यूरोप के अन्य राज्यों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने लगा । सैनिकवाद के प्रसार ने यूरोप में भीषण युद्धों को जन्म दिया , जिनमें फ्रांस की सैन्यशक्ति निरन्तर कम होती गई । नेपोलियन ने सैनिकों की कमी को पूरा करने के लिए फ्रांस में सैनिक सेवा अनिवार्य कर दी । उसने युवा तथा वृद्ध सभी को सेना में भर्ती होने के लिए विवश किया । परन्तु उसकी यह नीति अधिक समय तक जारी न रह सकी और अन्त में उसके लिए विनाशकारी सिद्ध हुई । उसने अपनी असीमित साम्राज्य विस्तार की लिप्सा को पूरा करने के लिए इंग्लैण्ड के विरुद्ध युद्ध की घोषणा की । अत : नेपोलियन की महत्त्वाकांक्षा , युद्धप्रियता एवं सैनिकवाद ने उसके पतन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई ।

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