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यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रान्ति



 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रान्ति 

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर - 

प्रश्न 1. रूस में ' खूनी रविवार ' की घटना कब हुई थी ?

 ( क ) 1904 ई ० में (ख ) 1905 ई ० में : ( ग ) 1906 ई ० में ( घ ) 1917 ई ० में । 

उत्तर- (ख ) 1905 ई ० में 

प्रश्न 2. अक्टूबर की क्रान्ति कब प्रारम्भ हुई थी ?

 ( क ) 5 नवम्बर , 1917 ई ० ( ख ) 6 नवम्बर , 1917 ई ० ( ग ) 7 नवम्बर , 1917 ई ० ( घ ) 8 नवम्बर , 1917 ई ० । 

उत्तर- ( ख ) 6 नवम्बर , 1917 ई ०

प्रश्न 3. क्रान्ति के समय रूस का सम्राट कौन था ?

 ( क ) जार निकोलस प्रथम ( ख ) जार निकोलस द्वितीय        ( ग ) जार अलैक्जेण्डर द्वितीय ( घ ) जार अलैक्जेण्डर तृतीय 

उत्तर- ( ख ) जार निकोलस द्वितीय    

। प्रश्न 4. रूस की क्रान्ति का प्रमुख नेता कौन था ?

 ( क ) लेनिन ( ख ) स्टालिन ( ग) टॉलस्टॉय (घ)गोर्की 

उत्तर-( क ) लेनिन

प्रश्न 5. ' समाजवाद का जनक ' कौन था ?

 ( क ) . रूसो ( ख ) कार्ल मार्क्स ( ग ) एंगल्स ( घ ) बाकुनिन

उत्तर-( ख ) कार्ल मार्क्स

 प्रश्न 6. जार साम्राज्य का पतन कब हुआ ?

( क ) 15 मार्च , 1917 ई ० ( ख ) 27 फरवरी , 1930 ई ०  ( ग ) 2 अप्रैल , 1930 ई ० ( घ ) 5 जनवरी , 1922 ई ० ।

 उत्तर-( क ) 15 मार्च , 1917 ई ० 

प्रश्न 7. रूस में क्रान्ति किस सन् में हुई थी ?

( क ) 1717 ई ० में ( ख ) 1817 ई ० में ( ग ) 1917 ई ० में ( घ ) 1972 ई ० में ।

उत्तर- ( ग ) 1917 ई ० में 

 प्रश्न 8. निम्नलिखित में से कौन रूस की क्रान्ति से सम्बन्धित था ?

( क ) लेनिन ( ख ) अब्राहम लिंकन ( ग ) रूसो ( घ ) बिस्मार्क 

उत्तर-( क ) लेनिन

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

   प्रश्न 1. रूस में वर्कमैन्स सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी कब स्थापित हुई ?

 उत्तर : रूस में वर्कमैन्स सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी 1895 ई ० में स्थापित हुई ।

 प्रश्न 2.1917 ई ० से पूर्व रूस में किस सन् में क्रान्ति हुई थी ?

उत्तर : 1917 ई ० से पूर्व रूस में सन् 1905 में क्रान्ति हुई थी। 

प्रश्न 3. रूसी क्रान्ति किस जार के शासन काल में हुई थी ? 

उत्तर. निकोलस द्वितीय के शासन काल में रूसी क्रान्ति हुई थी।

प्रश्न 4.सन् 1905 की रूसी क्रान्ति के कोई दो कारण बताइए । 

उत्तर : सन् 1905 की रूसी क्रान्ति के दो कारण थे -              ( 1 ) जार का निरंकुश शासन ।                                        ( 2 ) मजदूर वर्ग की दयनीय दशा ।

 प्रश्न 5. रूसी क्रान्ति के परिणामस्वरूप समाज के किस वर्ग का प्रभुत्व स्थापित हुआ ?

 उत्तर : रूसी क्रान्ति के परिणामस्वरूप समाज के कृषक व श्रमिक वर्ग का प्रभुत्व स्थापित हुआ । 

प्रश्न 6. रूसी क्रान्ति से पूर्व कौन - से दो प्रमुख दल थे ?

 उत्तर : रूसी क्रान्ति से पूर्व दो प्रमुख दल थे-                       ( 1 ) मेनशेविक , ( 2 ) बोल्शेविक । 

प्रश्न 7. रूस में बोल्शेविक क्रान्ति कब हुई थी ?

 उत्तर : रूस में बोल्शेविक क्रान्ति सन् 1917 में हुई थी । 

प्रश्न 8. रूसी क्रान्ति की सर्वप्रथम उपलब्धि क्या थी ?

 उत्तर : चर्च की शक्ति का विनाश व निरंकुश शासन की समाप्ति रूसी क्रान्ति की सर्वप्रथम उपलब्धि थी । 

प्रश्न 9. रूस की क्रान्ति में बोल्शेविकों का नेतृत्व कौन कर रहा था ? 

उत्तर : रूस की क्रान्ति में बोल्शेविकों का नेतृत्व लेनिन कर रहा था ।

 प्रश्न 10. रूस में जार को शासन से हटाने के लिए किसने बाध्य किया ?

 उत्तर : रूस में जार को शासन से हटाने के लिए ' ड्यूमा ' ने बाध्य किया ।

 प्रश्न 11. साम्यवादी व्यवस्था से क्या अभिप्राय है ? 

उत्तर : जहाँ सभी सम्पत्ति सार्वजनिक रूप से समाज के नियन्त्रण में होती है उस व्यवस्था को साम्यवादी व्यवस्था कहा जाता है ।

 प्रश्न 12. ' मित्र राष्ट्र ' किन शक्तियों को कहा जाता था ?

 उत्तर : ब्रिटेन , फ्रांस , रूस आदि शक्तियों को मित्र राष्ट्र कहा जाता था । 

प्रश्न 13. ' केन्द्रीय शक्तियाँ ' किन शक्तियों को कहा जाता था ? 

उत्तर : जर्मनी , आस्ट्रिया और तुर्की को केन्द्रीय शक्तियाँ कहा जाता था । 

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 

प्रश्न-1. सन् 1905 की रूसी क्रान्ति के लिए उत्तरदायी घटना के विषय में आप क्या जानते हैं ? अथवा रूस के इतिहास में कौन - सी घटना ' खूनी रविवार ' के नाम से जानी जाती है ?

 उत्तर : रूस में जारशाहो की निरंकुशता का बोलबाला था । जार अर्थात् सम्राट के अधिकारी जनसाधारण वर्ग पर भीषण अत्याचार किया करते थे । 7 जनवरी , सन् 1905 को रविवार के दिन मजदूरों का एक समूह जार को याचिका देने के लिए जा रहा था । उन्होंने जार के सामने अपनी माँगें रखीं लेकिन जार के आदेश से शाही सैनिकों ने उन पर गोली चला दी, जिसके फलस्वरूप बहुत - से निहत्थे श्रमिकों का खून बह  गया । यह घटना रविवार को घटी थी । अत : रूस के इतिहास खूनी रविवार ' के नाम से जाना जाता है ।

प्रश्न 2. रूस के इतिहास में 9 जनवरी , 1905 ई ० का क्या महत्त्व है ?

 उत्तर : 9 जनवरी , 1905 ई ० का दिन रूस की 1917 ई . की क्रान्ति का पूर्वाभास था । इस दिन जार को माँगपत्र देने जा रहे श्रमिकों को रूसी सेनाओं ने मार दिया । अनेक श्रमिक बुरी तरह से घायल हो गए । इस घटना से रूस की सेना व नौसेना में हलचल मच गई । इसने रूसी जनता को क्रान्ति के लिए तैयार कर दिया । 

प्रश्न 3. ' बोल्शेविक ' कौन थे ? व्याख्या कीजिए ।

 उत्तर : ' बोल्शेविक ' रूस के औद्योगिक मजदूरों की एक राजनीतिक पार्टी थी , जिसका नेता ब्लादिमीर लेनिन था । इस पार्टी के साथ औद्योगिक मजदूरों का अधिकांश भाग था । यह गुट क्रान्तिकारी विचारधारा में विश्वास रखता था । उनका विचार था कि जिस देश में न तो संसद हो और न ही नागरिकों को कोई जनतान्त्रिक अधिकार दिए गए हों , वहाँ शान्तिपूर्ण तरीके से कोई परिवर्तन नहीं लाया जा सकता । अन्त में यह पार्टी सन् 1917 ई ० में रूस में एक क्रान्ति लाने में सफल    हुई ।

 प्रश्न 4. सन् 1917 की रूस की क्रान्ति के दो राजनीतिक कारण बताइए । 

उत्तर :1-सन् 1905 की रूस की क्रान्ति - मास्को में 22 जनवरी , 1905 ई ० को एक माँगपत्र द्वारा मजदूरों व कृषकों का शान्तिपूर्ण ढंग से जुलूस निकाला जा रहा था । जार की सेना ने निहत्थे लोगों के इस जुलूस पर गोलियाँ चला दीं । परिणामस्वरूप अनेक लोग मारे गए व हजारों लोग घायल   हुए । इसके अतिरिक्त लगभग 60 हजार लोगों को बन्दी बनाकर जेल में डाल दिया गया । यद्यपि जार की दमनकारी नीति ने इस क्रान्ति को दबा दिया , किन्तु यह क्रान्ति 1917    ई ० की महान क्रान्ति के रूप में घटित हुई ।

 2. जार का निरंकुश अत्याचारी शासन – जार निकोलस द्वितीय एक निरंकुश शासक था । वह साम्राज्यवादी नीति में विश्वास रखता था । निरन्तर युद्धों के कारण रूस दयनीय आर्थिक स्थिति में आ चुका था । दूसरी ओर जार के अमानवीय एवं अत्याचारी शासन ने 1917 ई ० की क्रान्ति को तैयार करने में सहायता की । 

प्रश्न 5. रूस की क्रान्ति के दो प्रभाव लिखिए ।

 उत्तर : 1. विश्व शक्ति के रूप में रूस का आविर्भाव - रूस की नई सरकार ने आर्थिक विकास की नीति अपनाई । इस नई नीति ने आधुनिक तकनीक को प्रोत्साहित किया , जिसमें उद्योगों तथा कृषि को बढ़ावा मिला । सरकार द्वारा अपनाई गई आर्थिक व सामाजिक नीतियों के कारण रूस पूरे विश्व की एक प्रमुख शक्ति बन गया ।

 2. साम्यवाद तथा समाजवाद को प्रोत्साहन- रूसी क्रान्ति ने विश्व में साम्यवाद और समाजवाद के प्रसार में सहायता की । विश्व के अधिकांश भागों में साम्यवादी दल का गठन हुआ । पूर्वी जर्मनी , बल्गेरिया , पोलैण्ड , चैकोस्लोवाकिया तथा चीन जैसे देशों में साम्यवादी सरकारों की स्थापना हुई ।

 प्रश्न 6. ' अक्टूबर क्रान्ति ' का क्या अभिप्राय है ?

 उत्तर : वस्तुत : अक्टूबर क्रान्ति 7 नवम्बर , 1917 ई ० को हुई थी । उस दिन पुराने रूसी कैलेण्डर के अनुसार 25 अक्टूबर का दिन था । इसी कारण से इस क्रान्ति को ' अक्टूबर क्रान्ति ' का नाम दिया जाता है । इस क्रान्ति के परिणामस्वरूप करेन्स्की सरकार का अपनी जनता में लोकप्रिय न होने के कारण पतन हो गया । उसके मुख्यालय विंटर पैलेस पर नौसेना के एक दल ने अधिकार कर लिया । उसी दिन सोवियतों की     ‘ अखिल रूसी कांग्रेस ' की बैठक हुई और उसने राजनीतिक सत्ता अपने हाथों में ले ली । करेन्स्की देश छोड़कर भाग गया और लेनिन के हाथ में शासन की बागडोर आ गई । 

प्रश्न 7.विश्व पर रूसी क्रान्ति के प्रभाव का वर्णन कीजिए । 

उत्तर : सन् 1917 की रूसी क्रान्ति ने केवल रूस को ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व को प्रभावित किया । इस क्रान्ति के अन्तर्राष्ट्रीय प्रभाव निम्नवत् थे-

 ( 1 ) रूस की क्रान्ति ने साम्राज्यवाद के विनाश की प्रक्रिया को तेज किया । अत : विश्व में साम्राज्यवाद के विनाश के लिए सशक्त वातावरण बन गया ।

 ( 2 ) रूस की साम्यवादी सरकार को देखकर अन्य देशों में भी साम्यवादी सरकारें बन गईं , जैसे वियतनाम व चीन में ।

 ( 3 ) रूस में किसान व मजदूर वर्ग की सरकार स्थापित हो जाने से इस वर्ग का सम्मान व प्रतिष्ठा विश्व के अन्य देशों में बढ़ गई । 

( 4 ) अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की स्थापना हुई ।

 ( 5 ) रूसी क्रान्ति के पश्चात् संसार भर में पूँजीपतियों और मजदूर वर्ग के बीच कभी समाप्त न होने वाले लम्बे संघर्ष की शुरुआत हो गई ।

 ( 6 ) जनता की दशा सुधारने के लिए राज्य द्वारा आर्थिक नियोजन के विचार को बल मिला तथा विश्व में श्रम का गौरव बढ़ा ।

        विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर  

प्रश्न 1. रूस में 1905 में क्रान्तिकारी उथल - पुथल क्यों पैदा हुई थी ? क्रान्तिकारियों की क्या माँगें थीं ?

उत्तर : रूस में 1905 में क्रान्तिकारी उथल - पुथल के निम्नलिखित कारण थे-

 ( 1 ) जापान के साथ हुए युद्ध में रूस की पराजय हुई थी , जिससे सन् 1904 में जरूरी चीजों की कीमतें इतनी तेजी से बढ़ीं कि वास्तविक वेतन में 20 % तक की कमी आ गई थी ।  

( 2 ) सन् 1904 में ही गठित की गई असेम्बली ऑफ रशियन वर्कर्स ( रूसी श्रमिक विभाग ) के चार सदस्यों को प्युतिलोव आयरन वर्क्स में उनकी नौकरी से हटा दिया , तो मजदूरों ने आन्दोलन छेड़ने की घोषणा कर दी । अगले कुछ दिनों में 1,10,000 से अधिक मजदूर हड़ताल पर चले गए ।

 ( 3 ) इसी दौरान जब पादरी गैपॉन के नेतृत्व में मजदूरों का एक जुलूस विण्टर पैलेस के सामने पहुँचा , तो पुलिस और कोसैक्स ने मजदूरों पर हमला बोल दिया । इस घटना में 100 से ज्यादा मजदूर मारे गए और 300 से ज्यादा घायल हुए । इस घटना को खूनी रविवार के नाम से याद किया जाता है ।

 ( 4 ) सन् 1905 की क्रान्ति की शुरुआत इसी घटना से हुई  थी । सारे देश में हड़तालें होने लगी थीं । विश्वविद्यालय बन्द कर दिए गए । इन सबके बीच जार ने एक निर्वाचित परामर्शदात्री संसद या ड्यूमा का गठन कर दिया । 

क्रान्तिकारियों की माँगें -क्रान्तिकारियों की महत्त्वपूर्ण माँगें निम्नलिखित थीं 

( 1 ) काम के घण्टे घटाकर 8 घण्टे किए जाएँ ।।                  ( 2 ) वेतन में वृद्धि की जाए ।                                           ( 3 ) कार्यस्थिति में सुधार किया जाए । 

प्रश्न 2. रूस की साम्यवादी क्रान्ति ( 1917 ई ० ) के कारणों पर प्रकाश डालिए । अथवा 1917 ई ० की रूस की क्रान्ति के कारणों का विश्लेषण कीजिए । 

उत्तर : 1917 ई ० की रूसी क्रान्ति के कारण बीसवीं शताब्दी के दूसरे दशक में रूस में एक भयंकर खूनी क्रान्ति हुई , जिसे इतिहास में ' साम्यवादी क्रान्ति ' के नाम से जाना जाता है । इस क्रान्ति के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे-

 1. साम्यवादी विचारधारा का प्रभाव - औद्योगिक विकास के साथ ही रूस में साम्यवादी विचारधारा का प्रचार आरम्भ हो गया । धीरे - धीरे बहुत - से श्रमिक अपने भविष्य को सुन्दर बनाने के लिए साम्यवादी विचारों को अपनाने लगे और साम्यवादी दल में सम्मिलित होने लगे । फिशर ने लिखा है ,     " इस साम्यवादी प्रचार ने देश के श्रमिकों में जारशाही के विरुद्ध घोर असन्तोष एवं घृणा उत्पन्न कर दी , जिसके कारण लोग जार के शासन का अन्त करने के लिए क्रान्तिकारियों का साथ देने लगे । " 

2. 1905 ई ० की क्रान्ति का प्रभाव -1905 ई ० में रूस के देशभक्तों ने राष्ट्रीयता की भावना से प्रेरित होकर अपनी स्वाधीनता के लिए जारशाही के विरुद्ध क्रान्ति कर दी थी । यद्यपि उन्हें सफलता न मिल सकी थी , फिर भी रूसी जनता को अपने राजनीतिक अधिकारों का ज्ञान हो गया था । वह मताधिकार तथा लोकतन्त्र के महत्त्व को भली प्रकार समझने लगी । अब वह जारशाही को मिटाकर रूस में वास्तविक लोकतन्त्र की स्थापना करने को इच्छुक हो गई थी ।

 3. रूस में बौद्धिक क्रान्ति - रूस में 1917 ई ० की क्रान्ति से पहले एक बौद्धिक क्रान्ति हुई , जिसके फलस्वरूप रूस में पश्चिमी विचारों का आना प्रारम्भ हो गया था , जिससे रूस के मध्यम वर्ग के लोग बहुत प्रभावित हो रहे थे । टॉलस्टॉय , तुर्गनेव , दोस्तोवस्की के उपन्यासों ने रूस की शिक्षित जनता को बड़ा प्रभावित किया । इसी प्रकार मार्क्स , मैक्सिम गोर्की तथा बाकुनिन के समाजवादी और अराजकतावादी विचारों ने समाज में एक वैचारिक क्रान्ति उत्पन्न कर दी । 

4. जार की दमनकारी नीति -1905 ई ० की क्रान्ति के पश्चात् भी जार की सरकार ने अपनी कठोर दमनकारी नीति में कोई सुधार नहीं किया ; अत : रूस का शासन निरंकुश ही बना रहा । सरकार द्वारा उदार आन्दोलनों को कुचला गया , गुप्तचर विभाग की सहायता से जनता का मुँह बन्द रखा गया तथा किसानों एवं निम्न श्रेणी के लोगों पर निरन्तर अत्याचार होते रहे । 

5. क्रान्तिकारियों की तैयारियाँ- सरकार की दमनकारी नीति से क्रान्ति की आग दब गई प्रतीत होती थी , किन्तु वह अन्दर - ही - अन्दर सुलगती रही । अनेक क्रान्तिकारी मार डाले गए तथा अनेक देश से बाहर निकाल दिए गए । देश से निष्कासित ये लोग लेनिन के नेतृत्व में अगली क्रान्ति की तैयारी करने में संलग्न हो गए ।

6. मजदूरों में असन्तोष - रूस के औद्योगिक केन्द्रों में मजदूरों में भारी असन्तोष व्याप्त हो गया । उनके संघों को सरकार की दमनकारी नीति के कारण खुले रूप से कार्य करने का अवसर नहीं मिलता था , अतएव उनमें क्रान्तिकारी जोश बढ़ता ही गया । 

7. रूस की निर्धनता -- आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ देश होने के कारण रूस की सरकार के पास कोई बड़ा युद्ध लड़ने के लिए साधन नहीं रहे थे । रूस को आवश्यकता थी कि वहाँ शान्ति रहे तथा स्वतन्त्रता का वातावरण उत्पन्न किया जाए , जिससे वहाँ की आर्थिक उन्नति हो सके ।

 8. प्रथम विश्वयुद्ध में भाग लेना -1914 ई ० में पहला विश्वयुद्ध प्रारम्भ हुआ , जिसमें जर्मनी , ऑस्ट्रिया और इटली एक गुट में थे तथा इंग्लैण्ड , फ्रांस और रूस दूसरे गुट में । इसलिए रूस इस युद्ध में भाग लेने के लिए पहले ही से विवश था । रूस के पास इसके लिए कोई विशेष तैयारी भी न थी  अत : उसका इस युद्ध में कूद पड़ना उसकी बहुत बड़ी भूल   थी । रूस की यह भूल उसके लिए अत्यन्त हानिकारक सिद्ध हुई ।

 9. पूँजीपतियों द्वारा जनता का शोषण - जब युद्ध में रूस की सेना भेजी गई तो व्यापारियों और पूँजीपतियों ने इस अवसर का अधिक लाभ उठाया और जनता का शोषण किया । 

10. रूसी सेनाओं की पराजय - प्रथम विश्वयुद्ध में रूसी सेनापतियों ने अदूरदर्शिता और मूर्खता से काम लिया । परिणाम यह हुआ कि युद्ध में रूस के 6 लाख सैनिक मारे गए और 20 लाख सैनिक बन्दी बनाए गए । इससे मजदूर और किसानों में घोर असन्तोष उत्पन्न हो गया क्योंकि अधिकांश सैनिक इसी वर्ग से सम्बन्धित थे ।

 11. जार निकोलस द्वितीय की अदूरदर्शिता - इस समय रूस का शासक जार निकोलस द्वितीय था । निकोलस द्वितीय और उसकी पत्नी एलिक्स दोनों विलासी और अदूरदर्शी थे । उनके दरबार में पाखण्डी व्यक्तियों का जमघट था । इनमें से रासपुटिन नाम का एक कूटनीतिज्ञ साधु था , जिसका रानी पर गहरा प्रभाव था । रासपुटिन भ्रष्टाचारी था तथा बड़ी - बड़ी रिश्वतें लेता था । इस प्रकार एलिक्स और रासपुटिन के कार्यों ने भी इस क्रान्ति को भड़का दिया । 

12. सरकार और सेना में भ्रष्टाचार - जार के सरकारी कर्मचारी भी प्राय : अयोग्य , भ्रष्टाचारी और विलासी थे तथा यही स्थिति सैनिकों की भी थी । इन परिस्थितियों में सरकार और सेना किसी भी विद्रोह को दबाने में असमर्थ थी ।

 13. अकाल — इसी समय रूस में एक भीषण अकाल पड़ा । एक ओर महँगाई तथा दूसरी ओर अकाल की मार से लोग त्रस्त हो उठे । इन दोनों समस्याओं से क्रान्ति की अग्नि और भी भड़क उठी । अन्ततः भूखे मजदूर रोटी के लिए क्रान्ति करने को विवश हो गए ।

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