तटस्थता वक्र विश्लेषण द्वारा उपभोक्ता का सन्तुलन ( INDIFFERENCE CURVE ANALYSIS OF CONSUMER'S EQUILIBRIUM )
तटस्थता वक्र विश्लेषण द्वारा उपभोक्ता का सन्तुलन ( INDIFFERENCE CURVE ANALYSIS OF CONSUMER'S EQUILIBRIUM )
प्रत्येक उपभोक्ता चाहता है कि उसे सीमित साधनों से अधिक उपयोगिता मिले , परन्तु आय की सीमितता के कारण वह अपने सन्तोष को उस बिन्दु तक नहीं ले जा सकता जहां वह ले जाना चाहता है । अतः उपभोक्ता अपनी निश्चित आय और दी हुई कीमतों से अधिकतम सन्तोष को प्राप्त करने का प्रयत्न करता है । अधिकतम सन्तोष का यह बिन्दु ही उपभोक्ता के सन्तुलन का विन्दु कहलाता है ।
उपभोक्ता के सन्तुलन का अर्थ ( Meaning of Consumer's Equilibrium ) -
जब एक उपभोक्ता अपनी दी हुई आय को दी हुई कीमतों पर वस्तुओं के किसी निश्चित संयोग पर इस प्रकार खर्च करे कि उसको उस संयोग से अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त हो तो सम्बन्धित संयोग बिन्दु उपभोक्ता के लिए सन्तुलन का बिन्दु कहलाएगा । वह अन्य बातों ( उसकी आय व वस्तुओं की कीमतों ) के स्थिर रहते हुए उस संयोग में कोई परिवर्तन नहीं करना चाहेगा । परिवर्तन करने से उसका सन्तोष अधिकतम नहीं रह पाएगा ।
इस सम्बन्ध में टाइबर सिटोवस्की ने लिखा है , " उपभोक्ता सन्तुलन की अवस्था में तब होता है , जबकि वह वर्तमान परिस्थितियों में अपने व्यवहार को सर्वाधिक अच्छा मानता है और उसमें उस समय तक परिवर्तन नहीं करना चाहता है जब तक कि परिस्थितियां अपरिवर्तित हैं ।
" मान्यताएँ ( Assumptions ) तटस्थता वक्र विश्लेषण के अन्तर्गत उपभोक्ता के सन्तुलन को दिखाने के लिए निम्नलिखित मान्यताएँ हैं :
( i ) उपभोक्ता विवेकपूर्ण ( Rational ) है तथा उसका लक्ष्य वर्तमान परिस्थितियों में वर्तमान अधिकतम सन्तोष प्राप्त करना है , ( ii ) उपभोक्ता को तटस्थता मानचित्र की जानकारी है , ( iii ) उपभोग की जाने वाली वस्तुएं विभाज्य. ( Divisible ) हैं ,. ( iv ) उपभोक्ता की आय स्थिर है , ( v ) उपभोक्ता अपनी आय का थोड़ा भाग खर्च करता है। vi ) उपभोक्ता को वस्तु कीमत की जानकारी होती है vii ) वस्तुओं की कीमतों में कोई परिवर्तन नहीं होता है तथा ( viii ) बाजार में पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति ।
उपभोक्ता का संतुलन ( CONSUMER'S EQUILIBRIUM ) तटस्थता वक्र विश्लेषण के अंतर्गत एक उपभोक्ता उस बिन्दु पर संतुलन में होता है जहां उपभोक्ता की कीमत रेखा किसी तटस्थता वक्र को स्पर्श करती है । इस तरह उपभोक्ता के संतुलन को प्रदर्शित करने के दो आधार हैं : ( i ) तटस्थता मानचित्र ( Indifference map ) जो कि उपभोक्ता की पसंदगी क्रम में तटस्थता वक्रों का समूह है तथा ( ii ) कीमत रेखा अथवा बजट रेखा ( Price Line or Budget Line ) जो उपभोक्ता के उन संयोग बिन्दुओं को प्रदर्शित करती है जिसे उपभोक्ता दी गई वस्तु कीमतों के साथ अपनी सम्पूर्ण आय - व्यय करके खरीद सकता है ।
उपभोक्ता संतुलन की शर्तें ( Conditions of Consumer's Equilibrium ) : उपभोक्ता संतुलन की दो शर्ते होती हैं
( i ) संतुलन बिन्दु पर कीमत रेखा तटस्थता वक्र की संस्पर्शी होनी चाहिए अर्थात् MRSxy = Px/PY ( ii ) संतुलन की अवस्था में तटस्थता वक्र मूल बिन्दु की ओर उन्नतोदर होना चाहिए । :
इन शर्तों की व्याख्या निम्नवत की जा सकती है :
( 1 ) कीमत रेखा तटस्थता वक्र की स्पर्श रेखा होनी चाहिए ( Price Line should be Tangent to Indifference Curve ) -
इस शर्त का समर्थन करते हुए वाटसन ( Watson ) ने लिखा है , “ जब उपभोक्ता सन्तुलन में होता है,उसका उच्चतम संभव प्राप्त तटस्थता वक्र बजट रेखा पर स्पर्श होता है। इस बात को चित्र 18 की सहायता से समझाया जा सकता है । चित्र में PL कीमत रेखा तटस्थता वक्र Ic2 के E विन्दु पर स्पर्श करती है । अतः उपभोक्ता का सन्तुलन यहाँ होगा । इस स्थिति को और अधिक स्पष्ट करने के लिए हम मान लेते हैं कि x व Y वस्तुओं की कीमतें क्रमशः 3 रु . व 2 रु . हैं तथा उपभोक्ता इन वस्तुओं पर 12 रु . व्यय करना चाहता है । अब E बिन्दु पर उपभोक्ता 2X × 3Y का संयोग प्राप्त कर अधिकतम सन्तोष प्राप्त कर रहा है । संयोग F उपभोक्ता को प्राप्त नहीं हो सकता , क्योंकि इसके लिए अधिक आय की आवश्यकता होगी । यदि हम G बिन्दु को देखें तो पायेंगे कि यद्यपि यह विन्दु तटस्थता वक्र Ic2 पर होने के पश्चात् भी उपभोक्ता की पहुंच से बाहर है , क्योंकि यह विन्दु कीमत रेखा से बाहर है । यहां G बिन्दु पर 3x + 2Y का संयोग बनता है जो 13 रु . में ही प्राप्त किया जा सकता है अतः यह बिन्दु भी विचारणीय नहीं है । विन्दु H कीमत रेखा पर स्थित है जिसे उपलब्ध साधनों से प्राप्त किया जा सकता है ( संयोग 1X + 5.5Y ) लेकिन नीचे तटस्थता वक्र 1 पर होने के कारण कम सन्तोष प्रदान करेगा इससे अच्छा J बिन्दु है जो H बिन्दु वाले तटस्थता वक्र पर होकर कम खर्च में H के समान सन्तोष प्रदान करेगा , क्योंकि यहां 2x + 2Y का संयोग बनेगा जो 10 रु . में प्राप्त किया जा सकेगा अर्थात् 2 रु . बचाने वाला भी सिद्ध होगा । लेकिन यहां समस्या पैसा बचाने की नहीं अपितु दिये हुए साधनों में अधिकतम सन्तोष प्राप्त करने की है । इस प्रकार E विन्दु उपभोक्ता के . सन्तुलन का बिन्दु है । इसलिए उपभोक्ता की प्रवृत्ति यहां से हटने की नहीं होगी जब तक कि उपभोक्ता की आय व वस्तुओं की दी हुई कीमतों में कोई परिवर्तन नहीं हो । चित्र से यह भी स्पष्ट होता है कि इसी E बिन्दु पर तटस्थता वक्र व कीमत रेखा दोनों के ढलान एक - दूसरे के बराबर हैं । तटस्थता वक्र का ढलान Y- वस्तु के लिए x- वस्तु की प्रतिस्थापन दर ( MRSxy ) है , जबकि कीमत रेखा का ढलान Px तथा Py का अनुपात है । इस प्रकार सन्तुलन की अवस्था में :
MRSxy =px/Py
( 2 ) सन्तुलन अवस्था में तटस्थता वक्र मूल बिन्दु के उन्नतोदर होना चाहिए ( Indifference Curve must be Convex to the Origin in Equilibrium Stage ) उपभोक्ता के सन्तुलन की यह शर्त भी पहली शर्त की भांति महत्वपूर्ण है । इस स्थिति को चित्र 2 की सहायता से स्पष्ट किया जा सकता है ।
चित्र में यह माना गया है कि उपभोक्ता की मौद्रिक आय 24 रु . है तथा x व Y वस्तुओं की कीमतें क्रमशः 4 रु . तथा 3 रु . हैं । अब कीमत रेखा PL , Ic1 के G बिन्दु पर नतोदर दशा में स्पर्श रेखा है । यहां उपभोक्ता का स्थायी सन्तुलन नहीं हो सकता है , क्योंकि G बिन्दु के अतिरिक्त IC1 पर कोईभी बिन्दु G से कम कीमत में प्राप्त किया जा सकता है । जैसे F बिन्दु जो 1.5X + 5Y के संयोग को प्रकट करता है , जो उपभोक्ता को 21 रु . में प्राप्त होता है , जबकि सन्तोष G बिन्दु के बराबर ही होगा जिसका संयोग 3x + 4Y है और यह संयोग 24 रु . व्यय करके प्राप्त होता है । Ic2 के E बिन्दु पर भी कीमत रेखा एक स्पर्श रेखा है । यहां वस्तुओं का संयोग 1.5X + 6Y है , जो G बिन्दु की भांति कीमत रेखा पर होने के कारण 24 रु . में प्राप्त किया जा सकता है । लेकिन E बिन्दु तटस्थता तक्र Ic2 पर है , जो कि G बिन्दु वाले तटस्थता वक्र Ic1 से ऊंचा होने के कारण अधिक सन्तोष प्रदान करेगा । दूसरे शब्दों में , उन्नतोदर अवस्था में तटस्थता वक्र को स्पर्श करने वाली कीमत रेखा उपभोक्ता को अधिक सन्तोष प्रदान करेगी न कि नतोदर अवस्था में । इस प्रकार स्थायी सन्तुलन के लिए सन्तुलन की अवस्था में कीमत रेखा तटस्थता वक्र को उन्नतोदर स्थिति में ही स्पर्श करनी चाहिए ।
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