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एंजिल वक्र ( ENGEL'S CURVE )

   


             

                      एंजिल वक्र                      ( ENGEL'S CURVE ) 

एंजिल वक्र किसी वस्तु विशेष की मांगी गई मात्रा तथा उपभोक्ता की आय के बीच सम्बन्ध प्रदर्शित करता है । उन्नीसवीं शताब्दी में जर्मनी के अर्नेस्ट एंजिल ( 1821-1896 ) ने उपभोग व्यय की संरचना अर्थात आय के विभिन्न स्तरों पर परिवारों द्वारा विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर व्यय पद्धति जानने हेतु पारिवारिक बजटों का अनुभवगम्य अध्ययन किया । इस अध्ययन में उन्होंने पाया कि दी गई आदत एवं वरीयता दशाओं के अन्तर्गत खाधान्न पर व्यय की जाने वाली आय का अनुपात आय के बढ़ने के साथ - साथ घटता है । आय के विभिन्न स्तरों तथा वस्तु विशेष की खरीदी गई मात्राओं के बीच सम्बन्ध प्रदर्शित करने वाले वक्र का नाम एंजिल वक्र।            ( Engel's Curve ) रखा गया ।

 (A)आवश्यक वस्तुओं के लिए एंजिल वक्र---                                             सामान्य आवश्यक वस्तुओं के लिए एंजिल वक्र बायें से दायें ऊपर की ओर उठता हुआ होता है , किन्तु इस वक्र का ढाल आय की वृद्धि के साथ - साथ बढ़ता जाता है जो यह स्पष्ट करता है कि आवश्यक सामान्य वस्तु का उपभोग आय में वृद्धि की अपेक्षा कम बढ़ता है अर्थात् आवश्यक वस्तु की खरीदी गई मात्रा आय में वृद्धि के साथ बढ़ती है , किन्तु घटती हुई दर से । 


चित्र 1 में स्पष्ट किया गया है कि दी गई कीमतों आदत एवं वरीयता के अन्तर्गत उपभोक्ता OY , आय स्तर पर आवश्यक वस्तु ( खाद्यान्न की 0Q1 मात्रा खरीदता है ) वस्तु कीमत स्थिर रहते हुए जब आय OY1 से बढ़कर OY2 रह जाती है तब उपभोक्ता आवश्यक वस्तु की मांग बढ़ाकर 0Q2 कर देता है । इस प्रकार Y1 Y2 आय की वृद्धि वस्तु की मांग को Q1 Q2 बढ़ा देती है । कीमतों के स्थिर रहते हुए जब Y1 Y2 के बराबर आय पुनः बढ़कर OY 2 से बढ़कर OY 3 हो जाती है तब खाद्यान्न की मांग तो बढ़ती है , किन्तु पहली स्थिति की मांग वृद्धि Q1Q2 की तुलना में कम अर्थात् केवल Q2 Q3               ( जबकि Q2 Q3 < QI Q2) 
 इस प्रकार आय में प्रत्येक समान वृद्धि होने पर आवश्यक वस्तु की खरीदी गई मात्रा में विस्तार क्रमशः घटता जाता है अर्थात् वक्र का ढाल बढ़ता जाता है आय में वृद्धि होने पर बढ़ते हुए ढाल वाला ऊपर की ओर बढ़ता हुआ एंजिल वक्र आवश्यकता की वस्तुओं की स्थिति प्रदर्शित करता है जिनका उपभोग आय में वृद्धि की अपेक्षा घटती हुई दर से बढ़ता है ।   

( B ) विलासिता की वस्तु के लिए एंजिल वक्र

 विलासिता की वस्तु के लिए एंजिल वक्र ऊपर की ओर उठता हुआ किन्तु X अक्ष की ओर नतोदर होता है इसका अभिप्राय यह होता है कि विलासिता की वस्तु के लिए एंजिल वक्र का ढाल आय में वृद्धि के साथ घटता जाता है अर्थात् विलासिता की वस्तु के एंजिल वक्र पर आय की एक समान वृद्धियों के परिणामस्वरूप वस्तु की मांग क्रमशः बढ़ती जाती है । दूसरे शब्दों में यह वक्र स्पष्ट करता है कि जैसे - जैसे उपभोक्ता क्रमशः धनी होता जाता है वह अपने उपभोग में विलासिता की वस्तुओं की मांग बढ़ाता चला जाता है ।
चित्र 2 में Y1 Y2 आय की वृद्धि होने पर वस्तु की मांग वृद्धि Q1 Q2 है तथा Y 2 Y 3 आय की बृद्धि के लिए मांग बृद्धि Q2 Q3 है। अर्थात   एक समान आय बढ़ने पर मांग अधिक बढ़ती है ( Q2 Q3 > Q1 Q2 ) 

( C ) हीन वस्तु   ( Inferior Goods ) के लिए एंजिल वक्र 

हीन वस्तुओं ( Inferior Goods ) में एंजिल वक्र की स्थिति को चित्र 3 में दर्शाया गया है । ऐसी वस्तुओं के लिए एंजिल वक्र बाएं से दाएं नीचे गिरता है अर्थात् आय में वृद्धि के साथ वस्तु की मांग घटती चली जाती है ।


 चित्र में OY 1 स्तर पर हीन वस्तु की उपभोक्ता OQ1 मांग करता है , किन्तु अधिक आय स्तर OY2 तथा OY 3 पर वह मांग को क्रमशः घटाकर 0Q2 तथा 0Q3 कर देता है ।

 ( D ) तटस्थ वस्तु के लिए एंजिल वक्र 
चित्र 4 में तटस्थ वस्तुओं के लिए एंजिल वक्र की स्थिति को दर्शाया गया है । 


तटस्थ वस्तुओं के लिए एंजिल वक्र लम्बवत् होता है जो यह प्रदर्शित करता है कि आय बढ़ने या घटने पर इन वस्तुओं के उपभोग में कोई परिवर्तन नहीं आता । उदाहरण के लिए , नमक एक ऐसी अनिवार्य वस्तु है जिसके उपभोग , पर आय का कोई प्रभाव नहीं पड़ता और एंजिल वक्र लम्बवत् हो जाता है ।

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