The Ailing Planet : the Green Movement's Role
Short answer type questions
Q.1 . What is the Green Movement ?
हरित आंदोलन क्या है ?
Ans . The green movement is a social movement . It concerns for environmental conservation and improvements to the current health of the environment .
हरित आंदोलन एक सामाजिक आंदोलन है । यह पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरण के मौजूदा स्वास्थ्य में सुधार के बारे में चिंता करता है ।
Q.2 . When was the ' Green Movement ' started ?
हरित आंदोलन कब आरम्भ हुआ ?
Ans . It was started in 1972. The world's first nationwide Green Party was founded in New Zealand . Since then , the movement has not looked back .
यह 1972 में आरम्भ हुआ । संसार का पहला राष्ट्रव्यापी हरित - दल न्यूजीलैण्ड में स्थापित किया गया । तब से इस आंदोलन ने पीछे मुड़कर नहीं देखा ।
Q.3 . What do you mean by ' a holistic and ecological view of the world ?
संसार के प्रति ' समग्र और पारिस्थिक दृष्टिकोण से आप क्या समझते हैं ?
Ans . It refers to the comprehensive view of the world with all its natural resources . Human beings are just a part of it . Like a human body this earth is a organism . We should preserve the earth so that we may leave it in healthy condition for our future generations .
यह संसार और उसके प्राकृतिक स्रोतों को व्यापक रूप से देखने का संकेत करता है । मनुष्य तो इसका एक अंश है । मनुष्य के शरीर की तरह पृथ्वी भी सजीव है । हमें पृथ्वी को संभालकर रखना चाहिये जिससे कि हम इसे आने वाली पीढ़ियों के लिये अच्छी दशा में छोड़ जाये ।
Q.4 . What are earth's principal biological systems and their functions ?
पृथ्वी की प्रमुख जैविक प्रणालियाँ और उनके कार्य कौन - कौन से हैं ?
Ans . There are four principal biological systems of the earth . These are fisheries , forests , grasslands and croplands . These are the basis of the world's economic system . They provide us food and raw materials for industry .
पृथ्वी की चार प्रमुख जैविक प्रणालियाँ हैं । ये मत्स्य क्षेत्र , वन , घास के मैदान , कृषियोग्य भूमि है । ये संसार की आर्थिक प्रणाली का आधार हैं । ये हमें भोजन तथा उद्योगों के लिये कच्चा माल उपलब्ध कराते हैं ।
Q.5 . Write a short note on the importance of forests .
वनों के महत्व पर एक छोटी टिप्पणी लिखो ।
Ans . Forests are very important to any country and mankind as a whole . They contribute significantly to the environment , economic and social well being of the country . They play a vital role in ecological balance , agriculture , environment and in prevention of soil erosion . They provide number of forest goods like timber , firewood fruits etc.
वन किसी भी देश और पूरी मानव जाति के लिये महत्वपूर्ण हैं । वे देश के पर्यावरण , आर्थिक और सामाजिक कल्याण में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं । वे पारिस्थितिक संतुलन , कृषि , पर्यावरण और मिट्टी के कटाव , रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । वे बड़ी संख्या में वन सामान जैसे इमारती लकड़ी , ईंधन वाली लकड़ी , फल आदि प्रदान करते हैं ।
Q.6 . Why do we need to plant more forest in India ?
हमें भारत में और अधिक वन लगाने ( उगाने ) की आवश्यकता क्यों है ?
Ans . Forests are being wiped out at the rate of 3.7 million acres a year in India . It is the official data whereas the actual loss of forests is eight times more than it . We need to plant more forest to cope with the expected fire - wood and timber demand incoming years .
भारत में प्रतिवर्ष 3.7 लाख एकड़ वनों को काटा जा रहा है । ये तो अधिकारिक डेटा हैं जबकि वास्तविक क्षति तो इससे आठ गुना अधिक है । हमें आने वाले वर्षों में ईंधन की लकड़ी व इमारती लकड़ी की माँग का सामना करने के लिये अधिक वन लगाने की आवश्यकता है ।
Q.7 Why is population control essential in India ?
भारत में जनसंख्या नियन्त्रण क्यों आवश्यक है ?
Ans . India is an overpopulated country . Overpopulation affects all plans of development and becomes the root cause of poverty , unemployment , crime and corruption . So population control is essential to remove these problems .
भारत एक अत्यधिक जनसंख्या वाला देश है । अत्यधिक जनसंख्या विकास की सब योजनाओं को प्रभावित करती है , और गरीबी , बेरोजगारी , अपराध और भष्टाचार का मुख्य कारण बनती है । इसलिये इन समस्याओं को हटाने या दूर करने के लिये जनसंख्या नियन्त्रण आवश्यक है ।
Q.8 . Why does the author quotes the words of Mrs. Margaret Thatcher and Mr. Lester Brown ?
लेखक श्रीमती मारग्रेट थैचर और श्री लेस्टर ब्राउन के शब्दों का हवाला क्यों देता है ?
Ans . The author quotes the words of Mrs. Margaret Thatcher and Mr. Lester Brown to support his point of view . He is of the view that there is a need to protect and save the environment . Margaret and Brown lay stress on preservation of environment . .
लेखक अपने दृष्टिकोण का समर्थन करने को श्रीमती मारग्रेट थेचर और श्री लेस्टर ब्राउन के शब्दों का हवाला देता है । उनका मानना है कि पर्यावरण की रक्षा व सहेजने की आवश्यकता है ।
Long Answer Type Questions
Que.1 . Laws are never respected nor enforced in India .
भारत में कानून का कभी आदर नहीं होता न ही इसे लागू किया जाता ।
Ans . It is bitter truth that laws are never respected nor enforced in India . We can prove it with some examples . Take dowry system , it is a social evil . To remove this evil , government enacted Dowry Prohibition Act , 1961. But we do not abide by this act . Another example is determination the sex of a child before birth . It is illegal but this practice is still running as usual . Abortion of girl child could not be checked . Traffic rules which are made for our safety are not followed . In the end , we can say that these are just glimps of violation of laws . Study of these issues is more painful . In this way we can say that laws are never respected nor enforced strictly in India .
यह कड़वा सच है कि भारत में कानून का कभी आदर नहीं होता न ही इसे लागू किया जाता । कुछ उदाहरणों से इसे हम सिद्ध कर सकते हैं । दहेज प्रथा को ही ले लो , यह एक सामाजिक बुराई है । इसे खत्म करने के लिये सरकार ने दहेज निषेध अधिनियम , 1961 अधिनियमित किया । किन्तु हम इस अधिनियम का पालन नहीं करते हैं । दूसरा उदाहरण जन्म से पहले बच्चे के लिए लिंग का निर्धारण है । यह अवैध है किन्तु अभी भी चलन में है । बालिका गर्भपात को रोका नहीं जा सकता है । यातायात के नियमों जो हमारी सुरक्षा के लिये बनाये जाते हैं का भी पालन नहीं किया जाता है ।अन्त में हम कह सकते हैं कि ये शो कानुन के उल्लंघन की केवल झलक भर है । इन मुद्दों का अध्ययन और पीडादायक है । इस प्रकार हम कह सकते हैं कि भारत में कानून का कभी आदर नहीं होता न ही इसे कड़ाई से लागू किया जाता ।
Q.2 . " Are we to leave our successors a scorched planet of advancing deserts , impoverished landscapes and an ailing environment ? "
" क्या हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिये बढ़ते हुये रेगिस्तान , खराब परिदृश्य तथा बीमार वातावरण वाला झुलसता हुआ ग्रह.( पृथ्वी ) छोड़कर जायेंगे ? "
Ans . Yes , above statement is quite right , Such events are likely to occur in future . We have limited resources . We are consuming them blindly . Fisheries , forests . grasslands and croplands are the base of global economic system . We get food and raw materials for industry from them . Increasing population has put a severe pressure on them . Harmful chemical water is coming out of mills and factories and making the sea poluted . So sea - creatures are being killed . New industries and colonization are finishing forests and grasslands . Excessive use of pesticides in farming is cxp ( increasing desert . In every way we are destroying the earth . If it is continues , we will leave our successors a scorched planet of advancing deserts impoverished landscapes and an ailing environment ,
हाँ , उक्त कथन बिल्कुल सही है । भविष्य में इस प्रकार की घटनाएँ घटित होने की सम्भावना है । हमारे पास सीमित संसाधन है । हम बिना सोचे - समझे उनका उपयोग कर रहे हैं । मत्स्य क्षेत्र , वन , घास के मैदान और फसलों की भूमि विश्व की आर्थिक प्रणाली के आधार है । हमें उनसे भोजन और उद्योगों के लिये कच्चा माल प्राप्त होता है । बढ़ती हुई जनसंख्या ने उन पर अत्यधिक दबाव डाला है । मिलों , कारखानों से हानिकारक कैमिकल वाला पानी निकल रहा है और समुद्र को दूषित कर रहा है । इसलिये समुद्री जीव - जन्तु मर रहे हैं । नये - नये उद्योग और औपनिवेशीकरण वनों और घास के मैदानों को खत्म कर रहे हैं । खेती में कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग रेगिस्तानों को बढ़ा रहा है । हर तरह से हम पृथ्वी को नष्ट कर रहे हैं । यदि ऐसा ही जारी रहा तो हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिये बढ़ते हुए रेगिस्तान , खराब परिदृश्य तथा बीमार वातावरण वाला झुलसता हुआ ग्रह छोड़कर जायेंगे ।
Q.3 . “ We have not inherited this earth from our forefathers ; we have borrowed it from our children " .
" हमने यह पृथ्वी अपने पूर्वजों से विरासत में प्राप्त नहीं की है , इसे तो हमने अपने बच्चों से उधार ली है । "
Ans . This is a famous statement by Laster Brown . In this statement he tells the relation of man to the earth . He says that we are borrower not master of the earth . We think that we have inherited it from our forefathers . But the reality is that we are only trustees and real oweners of this earth are our children . We should take care of the health of our planet . So that it may fulfil our and our children's needs . We have to hand it over to them in a very good condition not as poluted planet . Our children are real owners of the earth .
यह लेस्टर ब्राउन का एक प्रसिद्ध कथन है । इस कथन में वह मनुष्य का पृथ्वी से सम्बन्ध बताता है । वह कहता है कि हम पृथ्वी के कर्जदार है न कि स्वामी । हम सोचते हैं कि हमने इसे अपने पुरखों से विरासत में लिया है । लेकिन वास्तविकता ये है कि हम तो केवल इस पृथ्वी के संरक्षक हैं वास्तविक स्वामी तो हमारे बच्चे है । हमें अपने ग्रह के स्वास्थ्य की देखभाल रखनी चाहिये । जिससे कि यह हमारी और हमारे बच्चों की आवश्यकताओं को पूरा कर सके । हमें इसे ( पृथ्वीको ) उन्हें सही दशा में सौपना है न कि दूषित ग्रह के रूप में हमारे बच्चे ही पृथ्वी के वास्तविक स्वामी हैं ।
Q.4 . " The problems of overpopulation that directly affect our everyday life . " How ? "
अत्यधिक जनसंख्या हमारे दैनिक जीवन को सीधा - सीधा प्रभावित करती है । " कैसे ?
Ans . Overpopulation has become the roots cause of the deteriorating condition of human life . World population is increasing by leaps and bounds . The effects of overpopulation are felt everywhere . The buses and trains are overcrowded . The number of the unemployed persons is increasing daily . Forests are disappearing . The housing problem is very acute . A number of people do not have their own houses to live in . Schools and colleges are overcrowded . Parents are worried to see their children unemployed . Some people believe that the children are the gifts of God . They say , " He who has given birth must give food . " This is an orthodox view . More children does not mean more workers but more hungry and unemployed people . Thus overpopulation creates the problems in every field and affects our everyday life .
अत्यधिक जनसंख्या मानव जीवन की बद से बदतर होती हालत का प्रमुख कारण बन चुकी है । संसार की जनसंख्या दिन दोगुनी और रात चौगुनी बढ़ रही है । बढ़ती हुई जनसंख्या के प्रभाव हर ओर देखे जा सकते हैं । बस और ट्रेन खचाखच भरी रहती हैं । बेरोजगारों की संख्या प्रतिदिन बढ़ रही है । वन गायब हो रहे हैं । मकानों की समस्या बहुत गंभीर है । बहुत - से लोगों के पास रहने के लिये अपने मकान नहीं हैं । स्कूलों और कॉलेजों में जगह नहीं है । माता - पिता अपने बच्चों को बेरोजगार देखकर दुखी हैं । कुछ लोगों का विश्वास होता है कि बच्चे भगवान का उपहार हैं । वे कहते हैं , “ जिसने जन्म दिया वो भोजन भी देगा । " यह एक रूढ़िवादी विचार है । अधिक बच्चों का अर्थ अधिक श्रमिक नहीं हैं सिवाय भूखे बेरोजगार लोगों के । अतः अत्यधिक जनसंख्या हर क्षेत्र में समस्याएँ उत्पन्न करती है और हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित करती है ।
Comments
Post a Comment