1. स्थिर , अस्थिर और तटस्थ साम्य ( Stable , Unstable and Neutral Equilibrium )
( i ) स्थिर साम्य ( Stable Equilibrium ) — जैसा कि स्थिर शब्द से स्पष्ट है कि यह साम्य स्थिर होगा । भले ही प्रारम्भ में कुछ परिवर्तनों के कारण साम्य टूट सकता है , परन्तु साम्य के टूटते ही कुछ ऐसी शक्तियां कार्यशील हो जाती हैं , जो प्रारम्भिक साम्य को फिर से जोड़कर ‘ पहले वाली स्थिति ' तक पहुंचा देती हैं और फिर से साम्य स्थापित हो जाता है ।
( ii )अस्थिर साम्य( Unstable Equilibrium) - अस्थिर साम्य स्थिर साम्य के विपरीत है । अस्थिर साम्य में किसी प्रारम्भिक तत्व के द्वारा गड़बड़ी उत्पन्न कर दी जाती है । परिणामस्वरूप , यह तत्व साम्य को ' भंग कर देता है और निरन्तर वाधाओं के कारण दुबारा साम्य स्थापित नहीं हो सकता है । जहां प्रारम्भिक साम्य भंग हुआ नहीं वह वहीं से दूर हटता जाता है । संक्षेप में , अस्थिर साम्य में अर्थ व्यवस्था एक बार भंग होने पर पुनः अपने मूल स्थान पर नहीं लौटती , बल्कि वह किसी ' नयी साम्य - स्थिति ' को प्राप्त हो जाती है ।
( iii ) तटस्थ साम्य ( Neutral Equilibrium ) यहां तटस्थता का अभिप्राय उदासीनता से नहीं है , बल्कि तटस्थता का अभिप्राय उस दशा से है जब प्रारम्भिक साम्य भंग होकर अपनी पुरानी दशा में नहीं लौटता है , बल्कि उसी स्तर पर रुककर स्थिर हो जाता है जहां वह छूटकर पहुंचा था ।
उपर्युक्त तीनों साम्यों के बारे में हम यह कह सकते हैं कि प्रथम प्रकार का साम्य टूटने के बाद फिर से स्थापित होकर अपनी जगह पर ज्यों - का - त्यों बना रहता है । दूसरे प्रकार का साम्य टूट जाने पर पूर्व साम्य से दूर हटता रहता है और फिर से प्रारम्भिक दशा में नहीं आता । अन्तिम साम्य प्रारम्भिक दशा से हटकर कहीं अन्यत्र स्थायी हो जाता है ।
उदाहरण द्वारा स्पष्टीकरण -साम्य की तीनों दशाओं को एक सूत्र में बांधते हुए हम एक उदाहरण से इसकी और अधिक स्पष्ट व्याख्या कर सकते हैं ।
(1) यदि एक गिलास के अन्दर कांच की गोली को रख दिया जाय , और गोली को बार - बार हिलाया - डुलाया जाय , तो वह गिलास के पैदे में इधर से उधर चक्कर तो लगायेगी , परन्तु अन्त में अपने पूर्व स्थान पर आकर रुक जायेगी । यही दशा स्थिर साम्य की भी है ।
(2)यदि उसी गिलास को उलटकर उसके सिर में गोली को रख दिया जाय तो यह स्थिति अस्थिर साम्य की होगी , क्योंकि गोली को छूने मात्र से ही उसमें गति उत्पन्न हो जायेगी और गोली अपने स्थान पर टिक नहीं पायेगी , इस प्रकार वह जहां पहले थी वहां से हटकर अन्यत्र चली जायेगी और अपने पूर्व स्थान पर नहीं आयेगी ।
(3)यदि गोली को एक सपाट प्लेट में रखकर हिलायें - डुलायें , तो वह अपने पहले स्थान से दूर हटकर नये स्थान में स्थिर हो जायेगी । यह दशा तटस्थ साम्य की होगी ।
उक्त ब्याख्या को चित्र 1 से स्पष्ट किया जा सकता है:
चित्र 1 के भाग ( अ ) में गोली गिलास के तले में स्थित है । यह स्थिति स्थिर साम्य ( Stable Equilibrium ) की है ।
भाग ( ब ) में गोली गिलास के सिर पर है , यह स्थिति अस्थिर साम्य ( Unstable Equilibrium ) की होगी । यदि गोली को तनिक भी छू दिया , तो वह दायें - बायें लुढ़क जायेगी और अपने पूर्ववत् स्थान में नहीं आयेगी ।
भाग ( स ) में गोली को एक सतह पर रखा गया है । यदि गोली को हिलाया गया तो वह अपने स्थान से हटकर नये स्थान में स्थिर हो जायेगी , यह दशा तटस्थ साम्य ( Neutral Equilibrium ) की होगी ।
प्रो . पीगू ने उपर्युक्त तीनों साम्यों को एक उदाहरण से स्पष्ट किया है कि भारी पैंदी वाला जहाज ' स्थिर साम्य ' की स्थिति में होगा , एक करवट से पड़ा हुआ अण्डा तटस्थ साम्य ' की स्थिति में होगा तथा एक सिरे पर टिकाया हुआ अण्डा ' अस्थिर साम्य ' की स्थिति में होगा ।
साम्य की अवधारणा का वीडियो लिंक है, पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें।
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