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हे पिता! तुम एक अनसुनी कहानी हो
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मां की ममता जग जाहिर,पर हे पिता! तुम एक अनसुनी कहानी हो, ऊपर से लगते बहुत कड़क, पर अंदर से गंगा का निर्मल पानी हो, हे पिता! तुम एक अनसुनी कहानी हो। वह आनंद कहाँ किसी झूले में जो बाहों में तुम्हारी पाते थे। बिटिया मेरी कितनी खुश है, यह सोच झुलाते जाते थे। नटखट सी बातें सुन करके,कहते बिटिया तूम बड़ी सयानी हो, तुमसे ही घर की रौनक है, तुम मेरी बिटिया रानी हो। हे पिता तुम एक अनसुनी कहानी हो। खुद की कमीज थी फटी हुई,पर मुझे सजाते रहते थे, खुद का पेट खाली रहता,पर मुझे खिलाते रहते थे। जिस चीज पर मैंने हाथ रखा, वह झट से मेरी हो जाती थी, पापा मेरे कितने अच्छे हैं, यह सोच मैं कितना इतराती थी। छोटी थी मैं, समझ सकी ना, कितनी मुश्किल, परेशानी में हो, कभी तुमने भी कुछ कहा नही,तुम भी कितने अभिमानी हो, हे पिता! तुम एक अनसुनी कहानी। जिस आंगन में मैं बड़ी हुई वह स्वर्ग से न्यारा लगता है, हे पिता!तुम्हारा चेहरा तो मुझे भगवान से प्यारालगता है। तुम हो तो घर में रौनक है, तुम हो तो खुद में हिम्मत है, तुम हो तो दुनियाँ में मेरी ,शायद सबसे अच्छी किस्मत है। तुम हो तो चारो धाम यहीं, तुम हो ...
हीरक-जल विरोधाभास(Diamond-Water Paradox
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एडम स्मिथ महोदय ने सीमांत उपयोगिता के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया कि क्यों कोई वस्तु जिसकी उपयोगिता हमारे लिए ज्यादा होती है उसकी कीमत कम और वह वस्तु जिसकी उपयोगिता कम होती है उसकी कीमत ज्यादा होती है। इस बात को स्पष्ट करने के लिए उन्होंने हीरा और जल के उदाहरण को लिया जिसे "हीरक-जल विरोधाभास"के नाम से जाना जाता है।उन्होंने बताया कि जल की हमारे लिए कुल उपयोगिता अनंत होती है जबकि प्रकृति में इसकी प्रचुर उपलब्धता के कारण इसकी सीमांत उपयोगिता बहुत कम होती है जिससे इसकी कीमत शून्य होती है।दुसरि तरफ हिरे की कुल उपयोगिता बहुत कम होती लेकिन प्रकृति में कम उपलब्धता के कारण इसकी सीमांत उपयोगिता काफी अधिक होती है।सीमांत उपयोगिता के अधिक होने के कारण हीरे का मूल्य अधिक होता है। निष्कर्ष-अतः निष्कर्ष स्वरूप हम कह सकते हैं कि किसी वस्तु की कीमत कुल उपयोगिता के द्वारा निर्धारित न होकर सीमांत उपयोगिता के द्वारा निर्धारित होतो है।
भगवान मारा गया(God was killed)
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आज अधिक काम होने के कारण,मुझे घर से जल्दी निकलना था।आज जन्माष्टमी का दिन भी था।शाम को घर कब वापस आऊंगा कोई ठिकाना नही था।इसलिए सोचा की सुबह ही भगवान का दर्शन कर लूं,शाम को जो होगा देखा जाएगा।मैं स्नान करके मंदिर गया और दर्शन किया।पंडित जी ने प्रसाद ला के दिया,जिसे मैंने माथे पर चढ़ाया और खा गया।आज पंडित जी पैर से हल्का लंगड़ाकर चल रहे थे और चेहरे को भी रामनामी से ढंके हुए थे।लग रहा था उनकी तबियत ठीक नही थी।मैना पूछा भी"पंडित जी,सब कुशल मंगल तो है,आज आपकी की तबियत कुछ खराब लग रही है।"पंडित जी ने सिर हिलाकर सहमति प्रकट की लेकिन कुछ बोले नही।वैसे भी पंडित जी बोलते बहुत कम थे।जब से वह इस मंदिर पर आए थे तब से ऐसे ही थे।लोगो से बहुत कम मिलते जुलते थे।वैसे इनको आये हुए पंद्रह साल हो गए थे।मंदिर के निर्माण को भी पंद्रह साल हो गए थे।मंदिर की स्थापना के एक दो दिन बाद ही पंडित जी आ गए थे।तब से मंदिर के पूजा पाठ का काम यहीं संभाल रहे थे।मुझे आज भी वह दिन याद है जब हम मंदिर में स्थापना के लिए भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति लेने शहर गए थे।बहुत तराशने के बाद हमें यह मूर्ति पसंद आयी।मूर्...
आत्म पीड़ा ! एक प्राइवेट हिंदी माध्यम स्कूल के शिक्षक की
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पहचान सको तो पहचान लो, मैं हूँ प्राइवेट हिंदी मीडियम स्कूल का एक शिक्षक।वैसे हमें पहचानना बहुत आसान है। चेहरे पर चिंताओं की सलवटें, माथे पर घर और विद्यालय में सामंजस्य बैठाने की जद्दोजहद, एक साधारण सा कपड़ा जो बदन पर हफ्ते भर चिपका रहता है।हाथ में एक टूटी हुई साईकल,और पैरों में अपने मालिक से अथाह प्रेम करने वाले घिसे हुए जूते जो मानो ये कहना चाह रहा हो कि मालिक मुझे अपने से अलग मत करना।मेरी और आपकी की स्थिति एक जैसी है;मैं घिस कर भी अलग होना नही चाहता और तुम थक कर भी जीने की जिद पर अड़े हो।वैसे तुम चाह कर भी मुझसे आसानी से अलग नही हो सकते क्योंकि तुम्हारी तनख्वाह तो मिलने के चार या पांच दिन बाद ही समाप्त हो जाती है बाकी 24 या 25 दिन तक तो तुम बाकी चीजों का जुगाड़ करने में इधर-उधर भागते फीरते रहते हो।जब तुम दुसरो से पैसा मांगते हुए गिड़गिड़ाते हो तो मुझे बड़ा सुकून मिलता है क्योंकि जिन जरूरतों की दुहाई देकर तुम पैसे दूसरों से माँगते हो उसमे तो मेरा नाम ही नही रहता।दिल को बड़ा सुकून मिलता है कि चलो इस महीने तक तो मेरा अस्तित्व बचा रहेगा।लेकिन फिर अगले महीने आते- आते मेरा मन अशांत ह...
Synthesis-Use Of Adverb And Adverbial Phrase
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Adverb या Adverbial Phrase दोनो का अर्थ एक ही होता है।केवल इनके शारीरिक बनावट में अंतर होता है।Adverb साधरणतया ly का प्रयोग करके बनता है।यदि एक वाक्य के कुछ शब्द मिलकर adverb का कार्य करते हैं तब उसे adverbial phrase कहते हैं।यह बिधि तब प्रयोग में लायी जाती है जब दोनों वाक्यों में से कोई एक वाक्य दूसरे वाक्य की मुख्य क्रिया की विशेषता प्रकट करता है।जो वाक्य विशेषता प्रकट करता है उसे adverb या adverbial phrase कहते हैं। जैसे- 1-Rohan went to college.He was punctual. यहाँ दूसरे वाक्य का punctual शब्द पहले वाक्य के क्रिया की विशेषता बताता है।अतः punctual शब्द को adverb में बदलकर दोनो वाक्यों को मिलाकर इस प्रकार लिख सकते हैं: Rohan went to college punctually. Example 2- Seprate-He finished the work .It took him in no time. यहाँ दूसरा वाक्य पहले वाक्य की क्रिया finished की विशेषता बता रहा है।इसको adverbial phrase "in no time"में बदलकर दोनो वाक्यों को मिलाकर इस प्रकार लिख सकते हैं। Combined-He finished the work in no time. नीचे कुछ शब्द है जिन्हें हम Adverb ...
तेरा वो चाँद सा मुखड़ा (एक छोटी सी कहानी)
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किसी काम से एक हफ्ते के लिए मैं शहर से बाहर गया था।सातवाँ दिन आते आते मेरा मन घर जाने के लिए बेचैन होने लगा।जब से वह मेरी जिंदगी में आयी थी तब से कभी इतने दिन उससे अलग नहीं रहा।बस मन करता कि काश!उसकी एक झलक मिल जाती तो मन को सुकून मिल जाता।ज्योहीं मेरा काम समाप्त हुआ त्योंहि मैंने ट्रेन पकड़ा और घर के लिए चल दिया।बस मन मे यही था कि किसी तरह घर पहुंच जाऊं और उसके सुंदर से चेहरे को निहार सकूँ।लेकिन ट्रैन तो थी अपनी ही गति से चलने वाली,कहाँ किसी की सुनने वाली। आखिरकार दस घंटे की दूरी तय करके मैं अपने गाँव पहुचा और फिर आटोरिक्शा करके घर पहुंचा।घर मे प्रवेश किया लेकिन बरामदे में कोई दिखाई नहीं दिया।लग रहा था सभी लोग आँगन में थे।बरामदे से सटा हुआ एक तरफ मेरा कमरा था।मैं चुपके से कमरे की तरफ बढ़ा।कमरे में वह अकेली गहरी नींद में सो रही थी।मैं दबे पांव उसके सिरहाने पहुँच गया।मैं अपने सिर को झुका कर उसके मासूम चेहरे को एक टक देखने लगा।एक परमानन्द की अनुभूति हो रही थी।उसकी आंखें उसकी पलको के नीचे ऐसे शांत पड़ी हुई थी जैसे किसी सागर का पानी तुफान आने से पहले श...