Skip to main content

Posts

Showing posts from November, 2020

Essay-Corona : A Global Challenge

  Corona : A Global Challenge Introduction- Covid-19(Corona Virus Disease  2019) is a huge global health crisis of our time.It was first identified in December 2019 in Wuhan city of China.It is thought to have originated in a sea food market where wildlife was sold illegally. Scientist have pointed to either bats or snake as possible sources. The WHO declared it a pandemic on March 11,2020. Since it's emergence, it has caused a large number of deaths across the world. There is no known cure for Covid-19 yet. Symptoms and spread- Fever, dry cough and difficulty in breathing are common symptoms of Covid-19. Fatigue,sore throat, muscle pain and loss of smell can also be seen in Covid-19 patient. The incubation period of Covid-19 is thought to be between 1 and 14 days. Infected patients can be asymptomatic, which means they do not show any symptoms despite being affected.This is why so many people get infected. Prevention- Regularly washing our hands with soap and water, covering ...

Narration-Rules for changes of Persons(Persons में परिवर्तन के नियम)

                        Narration Persons में परिवर्तन के नियम -------------------------------------- Note - केवल Personal Pronoun में ही परिवर्तन होता है और ये तीन प्रकार के होते हैं; First Person - जो ब्यक्ति बोलता है(The person who speaks) जैसे-I,me,my Second Person - ब्यक्ति जिससे बोला जाता है(The person spoken to)।जैसे-You,your,you Third Person - ब्यक्ति जिसके बारे में बोला जाता है(The person spoken of)जैसे-He,his,him --------------------------------------------------------------- Personal Pronoun की सूची दी गई है उसे Number तथा Gender का ध्यान रखते हुए देखें-             Personal Pronoun Rule-Direct से Indirect बनाते समय Reported Speech के First Persons के pronouns(I,me,my, mine, we,us,ours)को Reporting Verb के Subject के Person,Number और Gender के अनुसार बदल देते हैं।जैसे- 1.Direct-I said,"I do not like that house" indirect- I said that I did not like that house. 2. Direct-You said," I am le...

Essay-Our Social Evils

                                Essay   OUR SOCIAL EVILS  Introduction  - Aristotle once said, "Man is a social animal." He was perfectly right. The reason is that a man is born in society. He passes his life in society and dies in society, But society is not a mere collection of individuals. It is a dynamic force. It compels an individual to change himself according to its ways. So society controls man's behaviour. परिचय -अरस्तू ने एक बार कहा था, "मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है।"  वह बिलकुल सही था।  कारण यह है कि एक आदमी समाज में पैदा होता है।  वह समाज में अपना जीवन गुजारता है और समाज में मर जाता है, लेकिन समाज केवल व्यक्तियों का संग्रह नहीं है।  यह एक गतिशील शक्ति है।  यह एक व्यक्ति को उसके तरीकों के अनुसार खुद को बदलने के लिए मजबूर करता है।  इसलिए समाज मनुष्य के व्यवहार को नियंत्रित करता है।   Rousseau's opinion : Rousseau was a famous French thinker. H...

Essay- Your Ambition in Life

  1- Introduction -Different persons have different aims of life. They have difficult ambitions in life. It is quite natural. No two persons are the same.They differ in their aptitude, taste, intelligence, capacity and circumstances of life. The aims of life are set taking these factors into consideration. If it is not done so, they get nothing but dissatisfaction in life. 1-परिचय -विभिन्न व्यक्तियों के जीवन के अलग-अलग उद्देश्य होते हैं।  जीवन में उनकी मुश्किल महत्वाकांक्षाएं हैं।  यह काफी स्वाभाविक है।  कोई भी दो व्यक्ति एक जैसे नहीं होते हैं। वे अपनी योग्यता, स्वाद, बुद्धिमत्ता, क्षमता और जीवन की परिस्थितियों में भिन्न होते हैं।  जीवन के उद्देश्य इन कारकों को ध्यान में रखते हुए निर्धारित किए गए हैं।  यदि ऐसा नहीं किया जाता है, तो उन्हें जीवन में असंतोष के अलावा कुछ नहीं मिलता है। 2-Ambition to be a lawyer- Now a days there is a craze to become a doctor or an engineer or to join Indian administrative services. But I am good neither at sciences nor at mathe...

Essay-" My First Day At School"

 My First Day At School 1. Introduction:   First day at school is an experience which I cannot forget. Its memory is still fresh in my mind. It was 1st July. 2. On way to school -I got up early in the morning on this day. I got myself prepared. With my tutor, I started towards my new school. 3. School office and the Principal's office -We entered the office where I found four men sitting behind the counter. My tutor got a form from one of them. He filled it. Then we entered the principal's office. My tutor gave the form to him. He looked at the form and struck a bell. At once a peon came in. He ordered him to take us to the staff room. 4-My test and Admission- T he peon lead us to the room where I found the teachers are sitting around a long table. My tutor gave the form to one of them. The teacher put my knowledge to test in English. He found me fit. Another teacher gave me five sums to solve. I solved them easily. Both the teachers wrote something on the form. Again my tutor...

Narration Assertive Sentences

  Direct and Indirect Narration ------------------------------------------------    Assertive Sentence   इन वाक्यों के द्वारा किसी बात का कथन(Statement) ज्ञात होता है। इस प्रकार के वाक्यों को Indirect Speech में बदलने के नियमों का वर्णन इस प्रकार है - (1) Tenses में परिवर्तन संबंधी नियम(Rules for the change of Tenses) Rule-1. यदि Reporting Verb, Present Tense में हो तो अथवा Future Tense में हो तो Reported Speech के Verb के Tense में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं करते हैं। 2-इसमें Conjunction 'That' का प्रयोग करते हैं। 1.Direct- Mohan says, "Ravi has gone to Varanasi"   indirect- Mohan says that Ravi has gone to Varanasi. 2.Direct-Govind will say, "Roshani is very intelligent" Indirect-Govind will say that Roshan is very intelligent. 3.Direct- He has said to me," Akash will join the coaching." Indirect- He has told me that Akash will join the coaching. Note-Say,Says या Said को indirect Speech में tell,tells या told में उस समय बदलते हैं, जब इसके बाद O...

आर्थिक विकास का मापन

  आर्थिक विकास का मापन विभिन्न देशों में आर्थिक विकास के मापन तथा तुलनात्मक स्थिति को प्रकट करने के पांच दृष्टिकोण मिलते हैं। यथा- (1) आधारभूत आवश्यक  प्रत्यागम  (2)जीवन की भौतिक गुणवत्ता सूचकांक (3) क्रय शक्ति समता विधि (4)निबल  आर्थिक कल्याण (5)मानव  विकास सूचकांक उपरोक्त दृष्टिकोण में से मॉरिस डी, मॉरिस  का जीवन की भौतिक गुणवत्ता सूचकांक , पाल   का मूल आवश्यकता दृष्टिकोण, विश्वव बैंक का क्रयशक्ति समता विधि, तथा महबूब उल हक का मानव विकास सूचकांक को आर्थिक विकास के मापन मेंं महत्वपूर्ण माना जाता है। यथा-       मूलभूत आवश्यकता प्रत्यागम हिक्स एवं पाल  स्ट्रीटन मानव विकास के मापन के रूप में आधारभूत आवश्यकताओं के अधोलिखित 6 सामाजिक सूचकांकों पर विचार किया है। यथा- मूल आवश्यकता                     सूचकांक 1- शिक्षा                      प्राथमिक शिक्षा (साक्षरता दर) 2-स्वास्थ्य        ...

Economic Prosperity, Economic Growth and Underdevelopment

 Economic prosperity refers to the steady increase in GDP, gross national product and per capita income. That is, economic prosperity is related to the growth of production, with quantitative changes that take place such as labor force, consumption, capital and trade volume.  Occurs with diffusion in. The most appropriate criterion for a country's economic prosperity is real income per capita.                                         National Income  Per Capita income      =    ––––––––––––-–---                                                     Population                                         "Economic development m...

आर्थिक संवृद्धि , आर्थिक विकास तथा अल्प विकास

  आर्थिक समृद्धि से आशय सकल घरेलू उत्पाद , सकल राष्ट्रीय उत्पाद एवं प्रति व्यक्ति आय में निरंतर होने वाली वृद्धि से है।अर्थात आर्थिक समृद्धि उत्पादन की वृद्धि से संबंधित है जिसमें की परिमाणात्मक परिवर्तन होते हैं जो कि श्रम शक्ति, उपभोग, पूंजी और व्यापार की मात्रा में प्रसार के साथ होता है।          किसी देश की आर्थिक समृद्धि का सर्वाधिक उपयुक्त मापदंड प्रति व्यक्ति वास्तविक आय होता है।                                         देश की राष्ट्रीय आय     देश की प्रति व्यक्ति आय=____________________                                                                                   देश की जनसंख्या " आर्थिक विकास से अर्थ उस प्रक्रिया से है जिसक...

प्रकट अधिमान पर आधारित सेम्यूलसन का मांग प्रमेय

  प्रकट अधिमान पर आधारित  सेम्यूलसन का मांग प्रमेय सेम्यूलसन के शब्दों में ," कोई वस्तु जिसकी मांग केवल मौद्रिक आय  के बढ़ने पर बढ़ती है, निश्चित रूप से मांग में घटेगी यदि केवल उसकी कीमत में वृद्धि होती है।"           इस प्रमेय के प्रथम भाग में'आय'एवं मांग का सीधा एवं धनात्मक संबंध दिखाया है जो धनात्मक आय लोच का सूचक है।प्रमेय का दूसरा भाग प्रथम कथन को दूसरे शब्दों में व्यक्त करता है जिसमें कीमत और मांग के विपरीत तथा ऋण आत्मक कीमत लोच को सूचित करता है। वस्तुतः प्रमेेेय के आधार पर दोनों एक ही है अर्थात धनात्मक आय लोच, ऋणआत्मक कीमत लोच को प्रदर्शित करती है। इसे  सेम्यूलसन ने   उपभोग सिद्धांत का आधारभूत नियम कहा है। चित्र दो में उपभोग का आधारभूत प्रमेय दिखाया गया है। उपभोक्ता की प्रारंभिक कीमत रेखा RS है जिसमें वह अपनी समस्त आय से वस्तु X की अधिकतम OS इकाइयां  तथा  y  वस्तु की OR इकाइयां  खरीद सकता है। इस आरंभिक स्थिति में उपभोक्ता दी गई आय एवं वस्तुओं की कीमतों पर संयोग A के लिए अधिमान प्रकट करता है जिसका अभिप्रा...

प्रकट अधिमान सिद्धांत(The Theory Of Revealed Preference)

     प्रकट अधिमान सिद्धांत   The Theory of Revealed Preference   प्रकट अधिमान सिद्धांत के प्रतिपादक प्रोफेसर सैमुअल्सन अपने सिद्धांत को ' मांग के तार्किक सिद्धांत का तीसरा मूल' मानते हैं। प्रोफेसर  सैैैैैैमुअल्सन का सिद्धांत मांग के नियम की व्यवहारात्मक दृष्टिकोण से व्याख्या करता है। इस सिद्धांत से पूर्व मार्शल द्वारा विकसित उपयोगिता विश्लेषण हिक्स- एलन का उदासीनता वक्र विश्लेषण उपभोक्ता के मांग वक्र की मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से व्याख्या करते हैं।         प्रोफेसर सैम्यूलसन ने उपभोक्ता व्यवहार की दो मान्यताओं के आधार पर मांग के नियम की मूलभूत परिणाम निकालने का प्रयास किया है। यह मान्यताएं हैं: (1) अनेक उपलब्ध विकल्पों में से उपभोक्ता एक निश्चित चुनाव करता है। दूसरे शब्दों में वह अपने निश्चित अधिमान को प्रकट करता है यह मान्यता इस सिद्धांत को सबल क्रम की श्रेणी में रख देती है। (2) यदि अनेक विकल्पों में से संयोग B की तुलना एक परिस्थिति में संयोग A का चुनाव कर लिया गया है तो किसी अन्य परिस्थिति में यदि संयोग A तथा सहयोग B में पुनः...

सम- सीमांत उपयोगिता नियम की आलोचना

   सम सीमांत उपयोगिता नियम की आलोचना सम सीमांत उपयोगिता नियम की प्रमुख आलोचनाएं निम्नलिखित हैं: (1) उपभोक्ता को पूर्व विवेकशील मानने की धारणा  अव्यवहारिक है- इस नियम की मान्यता है कि उपभोक्ता विवेकशील है। आलोचकों का मत है कि उपभोक्ता उतना विवेकशील नहीं है, जितना कि उसे समझा गया है। व्यवहार में वह हिसाब किताब के चक्कर से बचने के लिए बिना सोचे समझे भी ब्यय कर देता है। अनेक उपभोक्ता अज्ञानता के कारण वस्तुओं से प्राप्त होने वाली सीमांत उपयोगिता का पता लगाने में असमर्थ रहते हैं। अतः वह इस नियम के अनुसार ब्यय नहीं करता है। (2) वस्तुओं का विभाजनिय होना (या अविभाज्य होना)- सम सीमांत उपयोगिता नियम के अंतर्गत मान लिया गया है कि जिन वस्तुओं का उपभोग किया जा रहा है उन्हें छोटी छोटी इकाइयों में बांटा जा सकता है, परंतु आलोचकों का कहना है कि अनेक वस्तुएं ऐसी हैं जिनका विभाजन नहीं किया जा सकता है। जैसे कार, रेडियो, मेज, कुर्सी आदि। (3) रीति -रिवाज फैशन आदि में परिवर्तन- व्यक्ति हमेशा अपने वातावरण से प्रभावित होता आया है। इसी प्रभाव के कारण वह ऐसी वस्तुओं व सेवाओं का उपभोग कर बैठता है, जि...

Transformation of compound sentences into complex sentences

  Transformation of compound sentences into complex sentences Compound Sentence को Complex Sentence बनाने के लिए Co-Ordinate Clause को Principal Clause बना देते हैं तथा Principal Clause को Sub-Ordinate Clause में बदल देते हैं क्योंकि Complex Sentence में एक Principal Clause तथा एक या एक से अधिक Sub-Ordinate Clause होती है। 1-Compound Sentence में एक Principal Clause तथा एक या एक से अधिक Co-Ordinate Clause होती है जो किसी न किसी Co-Ordinating Conjuntions से जुड़ी होती है। जिसमें चार प्रकार के Conjunctions प्रयोग होते हैं: 1- Cumulative Conjunctions (दो कथनों को जोड़ने वाले संयोजक)- (and,as well as,not only.......But also,both.......And ) 2-   Alternative Conjunctions( दो कथनों के बीच विकल्प स्पष्ट करने वाले संयोजक)- (Or,either.....or,neither......nor, Otherwise) 3- Adversative Conjunctions( दो कथनों में विरोध व्यक्त करने वाले संयोजक)- Yet(फिर भी),but(लेकिन),still(फिर भी) (4)  Illative conjunctions ( कार्य का परिणाम प्रकट करने वाले संयोजक)- so(इसलिए), therefore(इसलिए), f...

सम-सीमांत उपयोगिता नियम का महत्व

  सम सीमांत उपयोगिता नियम का महत्व सम सीमांत उपयोगिता नियम के महत्व का विचार मार्शल के इस कथन से स्पष्ट है कि "प्रतिस्थापन का सिद्धांत आर्थिक खोज के लगभग प्रत्येक क्षेत्र में लागू होता है" नीचे  नियम के महत्व को स्पष्ट किया गया है: उपभोग के क्षेत्र में महत्व- सम सीमांत उपयोगिता नियम यह बताता है कि उपभोक्ता अपने सीमित साधनों से किस प्रकार अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करता है। नियम में हम यह स्पष्ट कर चुके हैं कि उपभोक्ता को तभी अधिकतम संतुष्टि प्राप्त हो सकती है, जब वह अपने द्रव्य की इकाई विभिन्न  वस्तुओं में इस प्रकार खर्च करें की अंत में  प्रत्येक वस्तु से मिलने वाली सीमांत उपयोगिता लगभग समान रहे। यदि मुद्रा के इस क्रम को  बदला जाता है तो उपयोगिता में कमी आ जाएगी।  उत्पादन में महत्व - एक उत्पादक हमेशा सीमित साधनों से अधिक उत्पादन करके अधिकतम लाभ प्राप्त करना चाहता है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए और प्रतिस्थापन के नियम की सहायता से साधनों का इष्टतम संयोग ढूंढता है। प्रत्येक उत्पादक समय-समय पर भूमि,श्रम पूंजी, आदि साधनों सीमांत उपयोगिता आंकता रहता है और महंगे त...